प्रीत का रस
प्रीत का रस ,मधुर प्यारा,कभी पीकर तो देखो तुम,
पियो पिय प्यार का प्याला,नशा मतवाला आता है
न तो फिर दिन ही दिन रहता ,रात ना रात लगती है,
आदमी खोता है सुधबुध ,दीवानापन वो छाता है
चाँद की चाह में पागल,चकोरा छूता है अम्बर,
प्रीत की प्यास का प्यासा ,पपीहा 'पीयू' गाता है
प्रीत गोपी की कान्हा से ,प्रीत मीरा की गिरधर से,
प्रीत के रस में जो डूबा,वो बस डूबा ही जाता है
कभी लैला और मजनू का,कभी फरहाद शीरी का,
ये अफ़साना दिलों का है ,यूं ही दोहराया जाता है
कोई कहता इसे उल्फत ,कोई कहता मोहब्बत है,
शमा पे जल के परवाना,फ़ना होना सिखाता है
मदन मोहन बाहेती'घोटू'
प्रीत का रस ,मधुर प्यारा,कभी पीकर तो देखो तुम,
पियो पिय प्यार का प्याला,नशा मतवाला आता है
न तो फिर दिन ही दिन रहता ,रात ना रात लगती है,
आदमी खोता है सुधबुध ,दीवानापन वो छाता है
चाँद की चाह में पागल,चकोरा छूता है अम्बर,
प्रीत की प्यास का प्यासा ,पपीहा 'पीयू' गाता है
प्रीत गोपी की कान्हा से ,प्रीत मीरा की गिरधर से,
प्रीत के रस में जो डूबा,वो बस डूबा ही जाता है
कभी लैला और मजनू का,कभी फरहाद शीरी का,
ये अफ़साना दिलों का है ,यूं ही दोहराया जाता है
कोई कहता इसे उल्फत ,कोई कहता मोहब्बत है,
शमा पे जल के परवाना,फ़ना होना सिखाता है
मदन मोहन बाहेती'घोटू'