एक सन्देश-

यह ब्लॉग समर्पित है साहित्य की अनुपम विधा "पद्य" को |
पद्य रस की रचनाओ का इस ब्लॉग में स्वागत है | साथ ही इस ब्लॉग में दुसरे रचनाकारों के ब्लॉग से भी रचनाएँ उनकी अनुमति से लेकर यहाँ प्रकाशित की जाएँगी |

सदस्यता को इच्छुक मित्र यहाँ संपर्क करें या फिर इस ब्लॉग में प्रकाशित करवाने हेतु मेल करें:-
kavyasansaar@gmail.com
pradip_kumar110@yahoo.com

इस ब्लॉग से जुड़े

शुक्रवार, 24 अप्रैल 2015

प्रीत का रस

                       प्रीत का रस 

प्रीत का रस ,मधुर प्यारा,कभी पीकर तो  देखो तुम,
           पियो पिय प्यार का प्याला,नशा मतवाला  आता है
न तो फिर दिन ही दिन रहता ,रात ना रात लगती  है,
            आदमी खोता है सुधबुध ,दीवानापन वो  छाता  है           
चाँद की चाह में पागल,चकोरा छूता है अम्बर,
              प्रीत   की प्यास का  प्यासा ,पपीहा  'पीयू' गाता  है
प्रीत गोपी की कान्हा से ,प्रीत मीरा की गिरधर से,
              प्रीत के रस में जो डूबा,वो बस डूबा ही जाता  है
कभी लैला और मजनू का,कभी फरहाद शीरी का,
             ये अफ़साना दिलों का है ,यूं ही दोहराया जाता है   
कोई कहता इसे उल्फत ,कोई कहता मोहब्बत है,
             शमा  पे जल के परवाना,फ़ना होना सिखाता   है

मदन मोहन बाहेती'घोटू'

बुधवार, 22 अप्रैल 2015

लौट के पप्पू घर को आये

         लौट के पप्पू घर को आये

बहुत कोशिश की मन की भड़ासे सब निकल जाए
हुआ दो माह को गायब,विपासन,आसन ,आजमाए
कहा अम्मा ने समझा कर ,न यूं नाराज़ होते है
समझदारी और धीरज से राज के काज होते है
मिलेगा दिल्ली में आकर ,समस्याओं का हल तुझको
और चमचों ने रैली में ,दिया पकड़ा एक हल उसको
हर जगह मात खायी थी ,तो दो महीने जुगाली की
जोर से आके रम्भाया ,और जी भर के गाली दी
मगर पप्पू ,रहा पप्पू ,कौन अब उसको समझाए
ख़ाक बेंकाक की छानी ,लौट के बुद्धू घर आये
कोशिशे लाख की उसने ,मगर आगे न बढ़ पाया
न तो कुर्सी पे चढ़ पाया ,नहीं घोड़ी पे चढ़ पाया

घोटू   

रविवार, 19 अप्रैल 2015

मोहब्बत और शादी

           मोहब्बत और  शादी

कभी लैला और मजनू के,कभी फरहाद शीरी के ,
      मोहब्बत करने वालों के ,कई किस्से नज़र आये 
मगर इन सारे किस्सों में ,एक ही बात  है 'कॉमन',
         हुई इनकी नहीं शादी ,या वो शादी न कर पाये
अगर हो जाती जो शादी ,वो बन जाते मियां बीबी ,
        मगर फिरभी रहे कायम ,मोहब्बत असली वो होती
सितम शादीशुदा जीवन के, हंस कर झेलते रहना ,
        और उस पे उफ़ भी ना करना ,शहादत असली वो होती
मोहब्बत के लिए कुरबान  होना,बात दीगर है,
         निभाना साथ ,शादी कर,बड़ा है काम हिम्मत का
भाव जब दाल आटे  के,पता लगते है तो सर से,
         बहुत जल्दी उतर  जाता ,चढ़ा जो भूत  उल्फत  का

मदन मोहन बाहेती'घोटू' 

शनिवार, 18 अप्रैल 2015

विदेश यात्रा का बहाना

           विदेश यात्रा का बहाना

जब से सत्ताच्युत हुए ,मलते है हम हाथ
हमको चुभने लगी है,मोदी की हर बात
मोदी की हर बात ,दिया किस्मत ने धोखा
पोल हमारी खोले ,जब भी पाये मौका
हम विरोध करने मोदी संग  जा पहुंचेंगे
इसी बहाने ,घूम  विदेशों  में हम  लेंगे

घोटू

शुक्रवार, 17 अप्रैल 2015

खुशहाल चमन

             खुशहाल चमन

जहाँ बेख़ौफ़ होकर खिलती  कलियाँ ,लहलहाती है
जहाँ पंछी करे कलरव ,कुहू कोकिल   सुनाती  है
जहाँ मंडराया करती ,नाचती है तितलियाँ सुन्दर
जहाँ पर आशिक़ी फूलों से करते ,भ्रमर गुनगुन कर
जहाँ छायी हो हरियाली , हवा बहती रहे  शीतल
जहाँ गुलाब,बेला और चमेली खिलते है मिलकर
चमन आबाद वो रहता ,महकते फूल मुस्काते
कभी भी उसकी शाखों पर ,न उल्लू घर बसा पाते
रहेगी उस गुलिस्तां में, हमेशा खुशियां,  खुशहाली
सींचता ख्याल रख जिसको ,लुटाता प्यार हो माली

मदन मोहन बाहेती'घोटू'

हलचल अन्य ब्लोगों से 1-