जीवन यात्रा
जब जीवन पथ पर हम चलते
गिरते, उठते और सँभलते
जीवन भर ये ही चलता है,
खुशियां कभी तो कभी गम है
सरस्वती जैसी चिन्ताएँ ,
गुप्त रूप से आ मिलती है ,
सुख दुःख की गंगा जमुना का ,
होता जीवन भर संगम है
भागीरथ तप करना पड़ता ,तभी स्वर्ग से गंगा आती
सूर्यसुता कालिंदी बनती ,जो यम की बहना कहलाती
एक उज्जवल शीतल जल वाली
एक गहरी ,गंभीर निराली
सिंचित करती है जीवन को,
दोनों की दोनों पावन है
सुख दुःख की गंगा जमुना का,
होता जीवन भर संगम है
मिलन पाट देता दूरी को,तभी पाट होता है चौड़ा
पतितपावनी सुरसरी मिलने ,सागर को करती है दौड़ा
गति में भी प्रगति आती है
गहराई भी बढ़ जाती है
जब अपने प्रिय रत्नाकर से ,
होता उसका मधुर मिलन है
सुख दुःख की गंगा जमुना का ,
होता जीवन भर संगम है
भले चन्द्र हो चाहे सूरज ,ग्रहण सभी को ही लगता है
शीत ,ग्रीष्म फिर वर्षा आती ,ऋतू चक्र स्वाभाविकता है
पात पुराने जब झड़ जाते
तब ही नव किसलय है आते
जाना आना नैसर्गिक है ,
यह प्रकृति का अटल नियम है
सुख दुःख की गंगा जमुना का ,
होता जीवन भर संगम है
मदन मोहन बाहेती'घोटू'
जब जीवन पथ पर हम चलते
गिरते, उठते और सँभलते
जीवन भर ये ही चलता है,
खुशियां कभी तो कभी गम है
सरस्वती जैसी चिन्ताएँ ,
गुप्त रूप से आ मिलती है ,
सुख दुःख की गंगा जमुना का ,
होता जीवन भर संगम है
भागीरथ तप करना पड़ता ,तभी स्वर्ग से गंगा आती
सूर्यसुता कालिंदी बनती ,जो यम की बहना कहलाती
एक उज्जवल शीतल जल वाली
एक गहरी ,गंभीर निराली
सिंचित करती है जीवन को,
दोनों की दोनों पावन है
सुख दुःख की गंगा जमुना का,
होता जीवन भर संगम है
मिलन पाट देता दूरी को,तभी पाट होता है चौड़ा
पतितपावनी सुरसरी मिलने ,सागर को करती है दौड़ा
गति में भी प्रगति आती है
गहराई भी बढ़ जाती है
जब अपने प्रिय रत्नाकर से ,
होता उसका मधुर मिलन है
सुख दुःख की गंगा जमुना का ,
होता जीवन भर संगम है
भले चन्द्र हो चाहे सूरज ,ग्रहण सभी को ही लगता है
शीत ,ग्रीष्म फिर वर्षा आती ,ऋतू चक्र स्वाभाविकता है
पात पुराने जब झड़ जाते
तब ही नव किसलय है आते
जाना आना नैसर्गिक है ,
यह प्रकृति का अटल नियम है
सुख दुःख की गंगा जमुना का ,
होता जीवन भर संगम है
मदन मोहन बाहेती'घोटू'