पैसे तेरे रूप अनेक
साधू कहते तुझको 'माया'
मंदिर में कहलाय 'चढ़ावा '
बीबी मांगे कह कर' खर्चा'
सभी तरफ है तेरी चर्चा
'भीख 'भिखारी कह कर मांगे
ले सरकार 'टैक्स' कहलाके
मांगे कोर्ट कहे 'जुर्माना'
मिले किसी को बन हर्जाना
रेल और बस में कहे 'किराया'
स्कूल मे तू ' फीस 'कहाया
'यूरो','पोंड' तो कहीं 'डॉलर '
तेरा भूत चढ़ा है सब पर
जैसा देश है वैसा भेष
पैसे तेरे रूप अनेक
गुंडा मांगे कह'रंगदारी'
अफसर की तू 'रिश्वत 'प्यारी
चपरासी का 'चायपान'है
हर मुश्किल का तू निदान है
'पत्र पुष्प' कहलाय कहीं पर
दे सरकार 'सब्सिडी'कह कर
सौदों में कहलाय 'कमीशन'
प्यारी लगती तेरी खन खन
'टिप'है कहीं,कहीं 'नज़राना'
कोई तुझे कहता 'शुकराना'
ले मजदूर कहे'मजदूरी'
नौकर की तू 'तनख्वाह'पूरी
शादी में कहलाय 'दहेज़'
पैसे तेरे रूप अनेक
नेता अफसर खाते है सब
तू ही 'लक्ष्मी ' तू ही 'दौलत'
कभी'ब्याज' तो कभी 'मुनाफ़ा'
दिन दिन दूना होय इजाफा
पाँव नहीं पर तुझे चलाते
पंख नहीं पर तुझे उड़ाते
कोई बहाता पानी जैसा
कितने रूप धरे तू पैसा
तेरा रंग है अजब निराला
कहीं सफ़ेद ,कहीं तू काला
छुपा बैंक के खातों में तू
कभी पर्स तो हाथों में तू
मन हरषाता तुझको देख
पैसे तेरे रूप अनेक
मदन मोहन बाहेती'घोटू'
साधू कहते तुझको 'माया'
मंदिर में कहलाय 'चढ़ावा '
बीबी मांगे कह कर' खर्चा'
सभी तरफ है तेरी चर्चा
'भीख 'भिखारी कह कर मांगे
ले सरकार 'टैक्स' कहलाके
मांगे कोर्ट कहे 'जुर्माना'
मिले किसी को बन हर्जाना
रेल और बस में कहे 'किराया'
स्कूल मे तू ' फीस 'कहाया
'यूरो','पोंड' तो कहीं 'डॉलर '
तेरा भूत चढ़ा है सब पर
जैसा देश है वैसा भेष
पैसे तेरे रूप अनेक
गुंडा मांगे कह'रंगदारी'
अफसर की तू 'रिश्वत 'प्यारी
चपरासी का 'चायपान'है
हर मुश्किल का तू निदान है
'पत्र पुष्प' कहलाय कहीं पर
दे सरकार 'सब्सिडी'कह कर
सौदों में कहलाय 'कमीशन'
प्यारी लगती तेरी खन खन
'टिप'है कहीं,कहीं 'नज़राना'
कोई तुझे कहता 'शुकराना'
ले मजदूर कहे'मजदूरी'
नौकर की तू 'तनख्वाह'पूरी
शादी में कहलाय 'दहेज़'
पैसे तेरे रूप अनेक
नेता अफसर खाते है सब
तू ही 'लक्ष्मी ' तू ही 'दौलत'
कभी'ब्याज' तो कभी 'मुनाफ़ा'
दिन दिन दूना होय इजाफा
पाँव नहीं पर तुझे चलाते
पंख नहीं पर तुझे उड़ाते
कोई बहाता पानी जैसा
कितने रूप धरे तू पैसा
तेरा रंग है अजब निराला
कहीं सफ़ेद ,कहीं तू काला
छुपा बैंक के खातों में तू
कभी पर्स तो हाथों में तू
मन हरषाता तुझको देख
पैसे तेरे रूप अनेक
मदन मोहन बाहेती'घोटू'