मैं पूर्ण हुई
फटे दूध का छेना थी मैं ,डूबा प्यार के रस में,
तुमने नयी जिंदगी दे दी ,बना मुझे रसगुल्ला
दिन चांदी से ,रात सुनहरी ,जीवन मेरा बदला ,
जिस दिन से तुमने पहनाया मुझे स्वर्ण का छल्ला
सिन्दूरी सी सुबह हो गयी ,रात हुई रंगीली ,
जब से तुम्हारे हाथों ने , मांग भरी सिन्दूरी
बड़ा अधूरा सा जीवन था सूना सा छितराया,
प्रीत तुम्हारी जब से पायी ,हुई कामना पूरी
तुमने वरमाला पहना कर बाँध लिया बंधन में ,
जनम जनम का साथ दे गए ,फेरे सात अगन के
जबसे मैंने अपना सब कुछ किया समर्पित तुमको ,
पूर्ण हुई मैं ,तबसे आये ,स्वर्णिम दिन जीवन के
मदन मोहन बाहेती'घोटू'