सच्चा श्राद्ध
वो,अपनी माँ की याद में ,
श्रद्धा से श्राद्ध में ,
अपनी मेहनत की कमाई हुई
दो रोटी ,
किसी ब्राह्मण को खिलाना चाहता था
माँ का आशीर्वाद पाना चाहता था
पर सभी पंडित पहले से बुक थे
तीन चार जगह,न्योता खाने के बाद भी,
दक्षिणा क्या मिलेगी,
जानने में उत्सुक थे
उसकी खस्ता हालत देख,
सभी ने मना कर दिया
दो सादी रोटी देख कर ,
मुंह बना लिया
तभी उसे एक बूढ़ा ,अपाहिज ,
भूखा वृद्ध नज़र आया
उसने बड़े प्रेम से उसे भोजन कराया
भूखे वृद्ध ने तृप्त होकर ,
उठा दिए अपने हाथ
उसने देखा ,आसमान में ,
उसकी माँ तृप्त होकर ,
बरसा रही थी आशीर्वाद
मदन मोहन बाहेती'घोटू'
वो,अपनी माँ की याद में ,
श्रद्धा से श्राद्ध में ,
अपनी मेहनत की कमाई हुई
दो रोटी ,
किसी ब्राह्मण को खिलाना चाहता था
माँ का आशीर्वाद पाना चाहता था
पर सभी पंडित पहले से बुक थे
तीन चार जगह,न्योता खाने के बाद भी,
दक्षिणा क्या मिलेगी,
जानने में उत्सुक थे
उसकी खस्ता हालत देख,
सभी ने मना कर दिया
दो सादी रोटी देख कर ,
मुंह बना लिया
तभी उसे एक बूढ़ा ,अपाहिज ,
भूखा वृद्ध नज़र आया
उसने बड़े प्रेम से उसे भोजन कराया
भूखे वृद्ध ने तृप्त होकर ,
उठा दिए अपने हाथ
उसने देखा ,आसमान में ,
उसकी माँ तृप्त होकर ,
बरसा रही थी आशीर्वाद
मदन मोहन बाहेती'घोटू'