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बुधवार, 18 मार्च 2015

सच्चा श्राद्ध

             सच्चा श्राद्ध
वो,अपनी माँ की याद में ,
श्रद्धा से श्राद्ध में ,
अपनी मेहनत की कमाई हुई
दो रोटी ,
किसी ब्राह्मण को खिलाना चाहता था
माँ का आशीर्वाद पाना चाहता था
पर सभी पंडित पहले से बुक थे
तीन चार जगह,न्योता खाने के बाद भी,
दक्षिणा क्या मिलेगी,
जानने में उत्सुक थे 
उसकी खस्ता हालत देख,
सभी ने मना कर दिया
दो सादी रोटी देख कर ,
मुंह बना लिया
तभी  उसे एक बूढ़ा ,अपाहिज ,
भूखा वृद्ध  नज़र आया
उसने बड़े प्रेम से उसे भोजन कराया
भूखे वृद्ध ने तृप्त होकर ,
उठा दिए अपने हाथ
उसने देखा ,आसमान में ,
उसकी माँ तृप्त होकर ,
बरसा रही थी आशीर्वाद

मदन मोहन बाहेती'घोटू'

शनिवार, 7 मार्च 2015

होली पर -उनसे

             होली पर -उनसे
सारा बरस ,एक रस रह कर ,
कई रसों का स्वाद मिले जब ,
पुलकित पुलकित से चेहरे पर,
             झलका करता हर्ष हमारा
कैसे तुम्हे मना मैं कर दूँ,
मुझ पर नहीं गुलाल मलो तुम,
एक बरस में एक बार ही,
            मिलता है स्पर्श तुम्हारा
तुम्हारे नाजुक हाथों की ,
कोमल नरम नरम सी उंगली ,
के जब पौर मुझे छूते है ,
              मेरे पौर पौर  सिहराते
जब तुम मुझे गुलाल लगाती,
तुमको भी कुछ होता होगा ,
मेरे छूये बिना तुम्हारे ,
               गाल गुलाबी जब हो जाते
तुम्हारे कोमल कपोल को,
मिलती छूने  की आजादी ,
प्यासी आँखे यूं तो अक्सर ,
             करती रहती  दर्श  तुम्हारा
कैसे तुम्हे मना मैं करदूं ,
मुझ पर नहीं गुलाल मलो तुम,
एक बरस में एक बार ही,
मिलता है स्पर्श तुम्हारा

मदन मोहन बाहेती 'घोटू'

मंगलवार, 3 मार्च 2015

जिनके आगे घुटने टेके

            जिनके आगे घुटने टेके

घुटने टेके ,देकर गुलाब,था मैंने तुम्हे 'प्रपोज़ 'किया
फिर घुटने टेक तुम्हारी हर जिद को पूरा हर रोज किया
वर्जिश तो मेरे घुटनो की बस  रही सदा ,ऐसे होती
तुम रूप गर्विता तनी रही,और नहीं झुकी,अब हो मोटी
दिक्कत आयी तो लगा लिए ,घुटनो में दो 'जॉइंट'नए
जिनके आगे घुटने टेके ,उनके घुटने ही बदल  गए

घोटू

पत्नीजी ने घुटने बदले

            पत्नीजी ने घुटने बदले

मोरनी सी चाल थी ,उनकी ,उसी  को देख कर
फ़िदा उन पर हो गए हम रख दिया दिल फेंक कर
इश्क़ में  डूबे  रहे हम ,बावले और   बेखबर
प्यार का इजहार इक दिन किया घुटने टेक कर
उनने जब  हाँ कर दिया तो मस्त 'लाइफ' हो गयी
बन गए' हसबैंड' उनके और वो 'वाईफ' हो गयी
जिंदगी शादीशुदा हम बाद में  ऐसे जिए
उम्र भर हम उनके आगे घुटने ही टेका किये
इस तरह वर्जिश  हमारे घुटनो की होती रही
और वो  खुशहाल ,खाती पीती और सोती रही
धीरे धीरे बदन फैला ,बात कुछ ऐसी  बनी
मोर जैसी चालवाली बन गयी ,गजगामिनी
घुटने की तकलीफ से जब लगी घुटने दिलरुबां
घुटने प्रत्यार्पण करा लो ,डाक्टरों ने ये कहा
अब नए घुटने लगा कर हिरणिया वो हो गयी
और घुटने टेकते है अब भी हम वो के वो ही

घोटू

बदली बदली बीबी

             बदली बदली बीबी

घटा सी घनेरी थी जुल्फें वो काली,
         हुए श्वेत छिछले ,घने बाल पतले
हिरणी सी आँखें,फ़िदा जिन पे हम थे,
        हुआ मोतियाबिन्द ,और 'लेन्स'बदले
छरहरा बदन आज मांसल हुआ है ,
         दिल की शिराओं में 'स्टंट' डाले
ठुमक करके जिन पर अदा से थी चलती ,
        वो घुटने भी तुमने ,बदल दोनों डाले
बदल जिस्म के सारे पुर्जे गए है ,
        बचा कोई 'ओरिजिनल' अब नहीं है 
मोती से दाँतों पे सोना चढ़ा है ,
         मगर प्यार तुम्हारा ,वो का वही है

घोटू

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