संगत का असर
तपाओ आग में तो निखरता है रंग सोने का,
मगर तेज़ाब में डालो तो पूरा गल ही जाता है
है मीठा पानी नदियों का,वो जब मिलती समंदर से ,
तो फिर हो एकदम खारा ,बदल वो जल ही जाता है
असर संगत दिखाती है,जो जिसके संग रहता है,
वो उसके रंग में रंग धीरे धीरे ,खिल ही जाता है
अलग परिवारों से पति पत्नी होते ,साथ रहने पर,
एक सा सोचने का ढंग उनका मिल ही जाता है
मदन मोहन बाहेती'घोटू'
तपाओ आग में तो निखरता है रंग सोने का,
मगर तेज़ाब में डालो तो पूरा गल ही जाता है
है मीठा पानी नदियों का,वो जब मिलती समंदर से ,
तो फिर हो एकदम खारा ,बदल वो जल ही जाता है
असर संगत दिखाती है,जो जिसके संग रहता है,
वो उसके रंग में रंग धीरे धीरे ,खिल ही जाता है
अलग परिवारों से पति पत्नी होते ,साथ रहने पर,
एक सा सोचने का ढंग उनका मिल ही जाता है
मदन मोहन बाहेती'घोटू'