इश्क़ का इजहार करलें
झगड़ते तो रोज ही रहते है हम तुम,
आज वेलेंटाइन दिन है,प्यार करलें
नयी पीढ़ी की तरह गुलाब देकर,
हम भी अपने इश्क़ का इजहार करले
एक दूजे की कमी हरदम निकाली ,
छोटी छोटी बातों पर लड़ते रहे हम
एक दूजे की कभी तारीफ़ ना की ,
एक दूजे से हमेशा रही अनबन
आज आओ एक दूजे को सराहे
एक दूजे संग चलें हम मिला बाहें
प्यार से हम एक दूजे को निहारें,
संग मिल कर सुहाना संसार करले
नयी पीढ़ी की तरह गुलाब देकर ,
हम भी अपने इश्क़ का इजहार कर लें
जिंदगी के झंझटों में व्यस्त रह कर ,
दुनियादारी में फंसे दिन रात रहते
चितायें और परेशानी में उलझ कर ,
मिल न पाये,भले ही हम साथ रहते
आओ हम तुम आज सारे गम भुलादे
मिलें खुल कर ,प्यार की गंगा बहा दे
कुछ बहक कर,कुछ चहक कर,कुछ महक कर ,
सूखते इस चमन को गुलजार करलें
नयी पीढ़ी की तरह गुलाब देकर,
हम भी अपने इश्क़ का इजहार करलें
मदन मोहन बाहेती'घोटू'
झगड़ते तो रोज ही रहते है हम तुम,
आज वेलेंटाइन दिन है,प्यार करलें
नयी पीढ़ी की तरह गुलाब देकर,
हम भी अपने इश्क़ का इजहार करले
एक दूजे की कमी हरदम निकाली ,
छोटी छोटी बातों पर लड़ते रहे हम
एक दूजे की कभी तारीफ़ ना की ,
एक दूजे से हमेशा रही अनबन
आज आओ एक दूजे को सराहे
एक दूजे संग चलें हम मिला बाहें
प्यार से हम एक दूजे को निहारें,
संग मिल कर सुहाना संसार करले
नयी पीढ़ी की तरह गुलाब देकर ,
हम भी अपने इश्क़ का इजहार कर लें
जिंदगी के झंझटों में व्यस्त रह कर ,
दुनियादारी में फंसे दिन रात रहते
चितायें और परेशानी में उलझ कर ,
मिल न पाये,भले ही हम साथ रहते
आओ हम तुम आज सारे गम भुलादे
मिलें खुल कर ,प्यार की गंगा बहा दे
कुछ बहक कर,कुछ चहक कर,कुछ महक कर ,
सूखते इस चमन को गुलजार करलें
नयी पीढ़ी की तरह गुलाब देकर,
हम भी अपने इश्क़ का इजहार करलें
मदन मोहन बाहेती'घोटू'