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गुरुवार, 12 सितंबर 2013

दिनचर्या - बुढ़ापे की

    दिनचर्या - बुढ़ापे की

रात बिस्तर पर पड़े ,जागे सुबह,
                      सिलसिला अब ये रोजाना हो गया है
आती है,आ आ के जाती है  चली ,
                       नींद का यूं  आना  जाना  हो गया  है
     हो गए कुछ इस  तरह हालात है
                            मुश्किलों से कटा करती रात  है
 देखते ही रहते ,टाइम क्या हुआ ,   
                             चैन से सोये  ज़माना हो गया है   
आती ही रहती पुरानी याद है,
                               कभी खांसी तो कभी पेशाब है ,
कभी इस करवट तो उस करवट कभी,
                                 रात भर यूं तडफडाना हो गया है
सुबह उठ कर चहलकदमी कुछ करी ,
                                 फिर लिया अखबार ,ख़बरें सब पढ़ी ,
बैठे ,लेटे , टी .वी देखा बस यूं ही,
                                 अब तो मुश्किल ,दिन बिताना हो गया है

मदन मोहन बाहेती'घोटू '

मंगलवार, 10 सितंबर 2013

मै लम्बोदर हूँ,नेता हूँ

   मै  लम्बोदर हूँ,नेता हूँ

मै इस गणतंत्र में ,प्रथम पूजनीय हूँ ,
विनायक नहीं,नायक हूँ
रिद्धि सिद्धि ,मेरे आसपास,
 करती है वास ,इतना लायक हूँ
मेरे खाने के और दिखाने के दांत अलग है 
ये बात जानता सारा जग है
करोडो के घोटालों के बाद भी ,
नहीं भरता है मेरा उदर
इसीलिये मै हूँ  लम्बोदर
दिखावे को ,मुझ पर पत्र,पुष्प चढ़ाया जाता है
मुझे    डायिबिटीज है,पर मोदक मुझे भाता  है
मै सूंड से नहीं उठाता ,
चमचों  के जरिये खाता हूँ
भारत भाग्य विधाता हूँ,रोज पूजा जाता हूँ
मेरे वाहन चूहे ,दिखने में छोटे नज़र आते  है
पर मौक़ा पड़ने पर ,
घोटालों से जुडी  फाइलों को,
कुतर कुतर कर खा जाते है
मै विध्नहर हूँ,देश का नेता हूँ
मेरी पूजा करो,प्रशाद चढ़ावो ,
आपके सारे विघ्न हर लेता हूँ
आपके हर काम सिद्ध कर सकता हूँ,
मै वो महारथी हूँ
मै  इस गणराज्य का नेता हूँ,गणपति हूँ

  मदन मोहन बाहेती 'घोटू'

सोमवार, 9 सितंबर 2013

अपने-सपने

      अपने-सपने

कौन कहता है कि सपने
नहीं होते है अपने
सपने इतने अपने होते है कि ,
आपसे मिलने रात को आते है
जैसे आपके के ख़ास अपने ,
आपसे मिलने ,रात को आते है
सपने देखना ,एक अच्छी बात है ,
इससे मन की चाह अभिव्यक्त होती है
प्रगती की राह ,प्रशस्त होती है
हमने आजादी के सपने नहीं देखे होते,
तो क्या देश आजाद हो पाता
हम चाँद पर नहीं पहुँच पाते,
अगर चाँद पर जाने का सपना ना देखा जाता
क्योंकि जब तक सपने नहीं होते,
तब तक उन्हें पूरा करने के प्रयत्न भी नहीं होते
सपने साकार करने के लिए ,
करनी पड़ती है मेहनत 
तभी सपने बनते है हकीकत
सपना तब टूटता है
जब प्रयास करते करते ,हमारा धीरज टूटता है
जिसे अच्छी नींद आती है,सपने आते है 
अच्छी नींद,चिंतामुक्त व्यक्ति  को आती है
जो मेहनत  करके ,थक कर सोता है
सपने उसी को आते है
और मेहनती आदमी  के ,सारे सपने सच हो जाते है
क्योंकि मेहनत और लगन से किया गया प्रयास
हमेशा सफलता देता है,नहीं करता निराश
मेरी ही बात ले लो,
मैंने जब पहली बार प्यार किया
तो उस हसीं नाजनीन के सपने देखना शुरू किया
और फिर उसे पाने का भरसक प्रयास किया
औए ये मेरी खुशनसीबी है
कि वो आज मेरी बीबी है
अगर मन में हो सच्ची लगन
तो पूरे होते है सपन
मै इसीलिये कहता हूँ,खूब सपने देखो
और उनको पूरा करने के प्रयास में जुट जाओ
और अपना जीवन उन्नत बनाओ

मदन मोहन बाहेती'घोटू'

पत्नी जी का व्रत

         पत्नी जी का व्रत

पत्नी जी है सहचरी , पति सहचर कहलाय
पत्नीजी जब व्रत करे ,तो पति कैसे खाय
तो पति कैसे खाय ,कवि 'घोटू' बतलाते
संग संग चरते ,इसीलिये सहचर कहलाते
पत्नी करवा चौथ करे ,पति खावे  पीज़ा
करके देखो,इसका होगा ,बुरा नतीजा
घोटू 

मीठा ही मीठा

           मीठा ही मीठा

ना मइके की धोंस है ,ना झगडा ,तकरार 
ऐसी भी क्या जिन्दगी ,सिर्फ प्यार ही प्यार
सिर्फ प्यार ही प्यार ,रूठना नहीं मनाना
दिन भर केवल मीठा ही मीठा हो खाना
 'घोटू' बिन नमकीन,नहीं   मीठा है  भाता
 हो  षट व्यंजन साथ ,स्वाद खाने में आता

घोटू 

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