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शुक्रवार, 12 अप्रैल 2013

परहेज

                 परहेज

आम अलबेला ,चीकू,केला ,
                      और अंगूर  मुझे  वर्जित है
तला  समोसा ,उत्पम ,डोसा ,
                       ना खाऊ ,इसमें ही हित  है
मीठा हलवा ,पूरी तंलवा ,
                        से करना परहेज  पडेगा
गरम परांठे ,खा ना पाते ,
                        क्योंकि 'क्लोरोस्ट्रल' बढेगा
पालक,दालें ,खाना टालें ,
                         'यूरिक एसिड 'बढ़ जाएगा
और टमाटर ,खाना बचकर ,
                         'ब्लेडर'में पत्थर  आयेगा
न तो इमरती,ना ही जलेबी ,
                         ना गुलाब जामुन खा पाता
कोई मिठाई ,जाये  न खायी ,
                         'शुगर'का 'लेवल 'बढ़ जाता
चाट पकोड़ी ,खाना छोड़ी,
                           'एसिडिटी ' बढ़ा  देती है 
कुल्फी,चुस्की ,खाना 'रिस्की'
                           'टोन्सिल ' लटका देती है
पीज़ा ,बर्गर ,रहना बच  कर,
                            ये तो है दुश्मन सेहत के
घी और मख्खन ,खा न सके हम ,
                            'ओबेसिटी'बढ़ेगी  झट से
ये ना खाऊं ,वो ना खाऊ,
                             रहूँ सदा परहेजी बन के
मै क्यों करके,इतना डर के,
                               मजे  उठाऊ ना जीवन के 
सिर्फ हवा खा ,या फिर गम खा ,
                                जीवन जाता नहीं गुजारा
रस जीवन के ,ले लूं जम के ,
                                मानव तन ना मिले दुबारा
जो मन भाये,सरस सुहाये ,
                               वो खाने से ,नहीं डरूं मै
अगर मौत का ,दिन है पक्का ,
                                तो काहे  परहेज  करूं मै

मदन मोहन बाहेती 'घोटू'
       
                         
                    

गुरुवार, 11 अप्रैल 2013

बोलो मै तुमसे क्या बोलूँ

    बोलो मै तुमसे क्या बोलूँ

                 बोलो मै तुमसे क्या बोलूँ
                 मन की कितनी परतें खोलूँ 
जब तुम आये,मुस्काये थे
मेरे    मानस पर छाये थे 
दुनिया कुछ बदली बदली थी
उम्मीदों ने करवट ली थी
सपन सुनहरे ,मन में जागे
लेकर अरमानो के धागे 
                  मैंने जो भी ख्वाब बुने थे ,
                   उन्हें उधेड़ू ,फिर से खोलूँ        
                   बोलो मै तुमसे  क्या  बोलूँ
शायद किस्मत का लेखा  था 
मैंने जब तुमको देखा था
मेरा दिल कुछ ऐसा धड़का
ना कुछ सोचा,ना कुछ परखा
और तुम्हे दिल दे बैठी बस
लुटा दिया जीवन का सब रस
                     उस नादानी,पागलपन पर ,
                      हसूं बावरी सी या रो लूं
                       बोलो मै तुमसे क्या बोलूँ
भले ,बुरे,सुन्दर जो भी थे
पर तुम तो रस के लोभी थे
दिखला कर के प्यार घनेरा
घूँट घूँट रस पी कर मेरा
तुमने अपनी प्यास बुझाली
गए छोड़ कर मुझको खाली
                     छिन्न भिन्न अब टूट गया दिल,
                       टुकड़े टुकड़े ,कहाँ टटोलूं
                       बोलो मै  तुमसे क्या बोलूँ

मदन मोहन बाहेती'घोटू' 

लीन्हो वोटर मोल

     घोटू के पद

लीन्हो वोटर  मोल 

माई री  मै तो लीन्हो वोटर मोल  
सस्तो महँगो  कछु नहीं देख्यो ,दीन  तिजोरी खोल
आश्वासन को शरबत पिलवा ,मुंह में मिसरी घोल
वादों   की   रबड़ी चटवाई,  मीठा        मीठा  बोल 
मगर विरोधी दल वाले सब ,      पोल रहे है खोल 
टी वी, पेपर वाले भी सब   ,रहे उडाय        मखोल 
चमचे  खन खन खनक रहे है ,मेरी तारीफ़ बोल 
'घोटू'अब वोटर की मर्जी ,जब  आयेगा   पोल
ऊँट कौन करवट बैठेगा ,कोई सके ना बोल 
घोटू

राजकुमार

            राजकुमार
देश वालों रहो होशियार
               यहाँ के हम है राजकुमार  
चला रही मम्मी रिमोट से ये सारी  सरकार       
राज मुकुट हमको पहना दे,कोशिश है इस बार
चाटुकार और चमचों की है ,फ़ौज खड़ी तैयार 
टी वी अपने चर्चे है,  रंगे  हुए   अखबार
ये जनता कितनी भोली है ,चुनती है हर बार
हाथ मिलाने कितने छोटे दल बैठे तैयार
सब पर टांग रखी है सी बी आई की तलवार
अबकी बार यदि जीत गए तो,होगी नैया पार
देश वालों करो इन्तजार ,
                        यहाँ के हम है राजकुमार 
घोटू

नव संवत्सर

       नव संवत्सर

नए वर्ष का करें स्वागत ,हम ,तुम ,जी भर
नव संवत्सर,नव संवत्सर ,नव संवत्सर 
हुआ आज दुनिया का उदभव ,ख़ुशी मनाएं
खेतों में पक गया अन्न नव,ख़ुशी मनाये
किया विश्व निर्माण विधि  ने ,आज दिवस है
शीत ग्रीष्म की वय  संधि है ,आज दिवस है 
शुरू   चैत्र  नवरात्र  हुए,कर  देवी    पूजन
मातृशक्ति और नारी शक्ति का कर आराधन 
हम  समृद्ध       हों,ऊंची उड़े   पतंग हमारी
खुशियाँ फैले, कायम   रहे     उमंग हमारी 
गुड और इमली ,कालीमिर्च ,नीम की कोंपल
खाकर रखें,स्वस्थ जीवन को ,पूर्ण वर्ष भर 
आने वाला वर्ष ख़ुशी दे और हो   सुखकर
नव संवत्सर,नव संवत्सर ,नव संवत्सर
(नूतन वर्ष की शुभ कामनाएं )

मदन मोहन 'बाहेती घोटू'

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