कल्कि अवतार का मत करो इन्तजार
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पुराण बतलाते है
जब जब धर्म की हानि होती है,
भगवान अवतार ले कर आते है
त्रेता में राम का रूप धर कर अवतार लिया
द्वापर में कृष्ण रूप में प्रकटे,
और दुष्टों का संहार किया
पर आजकल,इस कलयुग में,धर्म की हानि नहीं,
धर्म का विस्तार हो रहा है
जिधर देखो उधर धर्म ही धर्म,
का प्रचार हो रहा है
भागवत कथाएं,
गाँव गाँव शहर,कस्बो में,
टी.वी. के कई चेनलों में,
साल भर चलती है
कितनी भीड़ उमड़ती है
भागवत कथा सुन कर कितने ही श्रोताओं में,
मोक्ष की आस जगी है
तीर्थो में उमड़ती भीड़ को देखो,
सब में पुण्य कमाने की होड़ लगी है
मंदिरों में आजकल इतने लोग जाते है
कि भक्तों को दर्शन देते देते,
भगवान भी थक जाते है
तब सांवरिया सेठ का रूप धर,
भगवान ने नानीबाई का मायरा भरा था
अपने भक्त नरसी मेहता पर उपकार करा था
आज कल कई सेठ,
कितनी ही गरीब कन्याओं का,
सामूहिक विवाह करवाते है
और भरपूर पुण्य कमाते है
तब एक श्रवण कुमार ने,
अपने बूढ़े माता पिता को,
तीर्थ यात्रा करवाई थी,
कांवड़ में बिठा कर
आज कितने ही श्रवण कुमार,
अपने बूढ़े माता पिता को,
तीर्थ यात्रा करवाते है,
हेलिकोफ्टर में बिठा कर
पहले आदमी जब गया तीर्थ था जाता,
तो गया गया सो गया ही गया था कहा जाता
और आज कल गया जानेवाला,
सुबह गया जाता है,
और शाम तक वापस भी लौट आता है
धर्म का लगाव बढ़ता ही जा रहा है
लोगों में भक्ति भाव ,बढ़ता ही जा रहा है
तो जो लोग कल्कि अवतार का इन्तजार कर रहें है
बेकार कर रहे है
क्योंकि जब इतनी धार्मिक भावनायें,
भारत में जागृत है
तो भगवान को अवतार लेने की क्या जरुरत है?
मदन मोहन बाहेती'घोटू'