उंगलियाँ
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अंगूठा बस दिखाने के काम का,
काम में पर बहुत आती उंगलियाँ
बालपन में थाम उंगली बढों की,
खड़ा कर चलना सिखाती उंगलियाँ
जवानी में पकड़ उंगली,पहुंचे तक,
पहुँचने की राह दिखाती उंगलियाँ
पहन कर के सगाई की अंगूठी,
प्यार बंधन में बंधाती उंगलियाँ
बाद शादी,बीबियों के इशारों,
पर पति को है नचाती उंगलियाँ
बीबियों की उँगलियों में जादू है,
चटपटा खाना बनाती उँगलियाँ
स्वाद की मारी हमारी जीभ है,
जी न भरता, चाट जाती उंगलियाँ
चार मौसम,तीन महीने हर एक के,
बरस पूरा है दिखाती उंगलियाँ
बड़ी छोटी,सभी मिल कर साथ है,
एकता हमको सिखाती उंगलियाँ
बंध गयी तो एक मुट्ठी बन गयी,
चपत मिल कर है लगाती उंगलियाँ
आत्म गर्वित पडोसी है अंगूठा,
दूरियां उससे बनाती उंगलियाँ
कुछ उठाने की अगर जरुरत पड़े,
अंगूठे को साथ लाती उंगलियाँ
उंगली टेड़ी करने से घी निकलता,
पाठ जीवन का सिखाती उंगलियाँ
एक उंगली गर किसी को दिखाओ,
तीन है तुमको दिखाती उंगलियाँ
चार उंगली ,चार दिन की जिंदगी,
याद हरदम है दिलाती उंगलियाँ
मदन मोहन बाहेती'घोटू'