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गुरुवार, 17 नवंबर 2011

पेट्रोल के दाम

पेट्रोल के दाम
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हमने पेट्रोल के दाम बढ़ाये,
लेकिन ममता के दबाब में,
'रोल बेक' नहीं किया
बल्कि कुछ दिनों बाद,
दाम घटा कर,
जनता को,'राहत का पैकेज' दिया
ये राजनीती का दाव है
आने वाला चुनाव है

मदन मोहन बाहेती 'घोटू'

बुधवार, 16 नवंबर 2011

गोल गप्पे

गोल गप्पे
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जिंदगी,
पानीपूरी के पानी की तरह,
खट्टी,मीठी,चटपटी,तीखी,
और स्वादिष्ट होती है
और आदमी इसे गटागट पी भी सकता है
पर उसमे इतना मज़ा नहीं आता
अगर उसका असली स्वाद लेना हो,
तो गोलगप्पे की तरह,
एक जीवनसाथी की जरुरत पड़ती है,
जिसमे भर भर कर,
घूँट घूँट पीने से,
जिंदगी का असली मज़ा आता है

मदन मोहन बहेती'घोटू'

मंगलवार, 15 नवंबर 2011

हमारे गोल मोल सर


आँखों में चश्मा , चेहरा है गोल
पढ़ाते रहते वो हमें  गोल मोल 
बोर्ड पर लिखते है इतना और 
हमेशा बोलते है ओर ओर |
कहते हैं वो इतना मधुर कि
बोलते उनके सो जाते सारे लोग 
फिर भी वो नही रुकते और 
पढ़ाते रहते वो हमे गोल मोल |
हाथों में  पेपर चौक थाम के 
कितना पढ़ाते हैं बार बार |
कद है छोटा तन तन है मोटा 
पढ़ने में है थोडा खोटा
नंबर देता छोटा मोटा |
टुकुर टुकुर यूँ देखे सबको 
क्यों देखे ये पता नहीं 
मन ना हो पढने का फिर भी 
लिखते है वो मोर मोर 
पढ़ाते रहते हमे गोल मोल |
-  दीप्ति शर्मा 

सोमवार, 14 नवंबर 2011

आखरी मौका


  आखरी मौका
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मेरी शादी के अवसर पर,
जब मै घोड़ी पर बैठ रहा था,
मेरे शादीशुदा मित्र ने कहा था,
'देखले,कितना शानदार मौका है
एसा मौका बार बार नहीं मिलता'
उस समय तो मै समझ नहीं पाया,
पर अब समझ में आया है  उसका मतलब
दोस्त ने कहा था'घोड़ी भी है,मौका  भी है,
जीवन भर की गुलामी से बचना है ,तो,
एडी दबा,घोड़ी दोड़ा,और भागले अब '
भागने का आखरी  मौका  था
पर मुझे रास्ता न दिखे,इसलिए लोगों ने,
मेरा चेहरा,सेहरे से ढक रखा था
 और मै भाग ना जाऊं ,मुझे रोकने के लिए,
बारातियों ने मुझे घेर कर रखा था
और तो और ,आपको मै क्या बतलाऊं
जब मै शादी के मंडप में पहुंचा,
मेरे जूते छिपा दिए गए,
कहीं मै भाग ना जाऊं
और विवाह  की बेदी के सामने बैठा कर,
दुल्हन के हाथ से मेरा हाथ बाँधा गया
जैसे गुनाहगार को हवलदार  पकड़ता है,
दुल्हन ने मेरा हाथ पकड़ा,
और मेरा भागने का ये मौका भी  हाथ से गया
और हाथ को बांधे बांधे ,
दुल्हन को आगे कर उसके पीछे पीछे,
मैंने अग्नि के चार फेरे भी काटे
और मुझे बहला कर ले लिए सात वादे
तब कहीं अगले तीन फेरों के लिए,
मुझे निकलने दिया आगे
और फिर चांदी के सिक्के से
मैंने उसकी मांग भरी
और एक वो दिन था और एक आज का दिन,
उसकी सभी मांगों को पूरी कर
वो आगे और उसके पीछे पीछे,
काट रहा हूँ मै चक्कर
काश घोड़ी पर बैठते वक़्त ही,
अपने दोस्त की बात समझ में आ जाती
तो आज ये नौबत नहीं आती

मदन मोहन बाहेती 'घोटू'

आताताइयों के इस समाज में

मै ठिठक कर रुक गया
मंदिर के आहाते में
आज फिर एक लाश मिली थी
तमाशबीन
लाश के चारों ओर खडे थे
नजदीक ही कुछ
पुलिसवाले भी खडे थे
उत्सुकतावश मै भी शामिल हो गया तमाशवीनों में
देखा कटे हाथों वाली वह लाश
औधे मुॅह पडी थी
नजदीक ही उसके कटे हाथ पडे थे
जिसकी मुट्ठियॉ
अभी तक भिंची थी
न मालूम क्रोध से अथवा विरोध से
भीड का एक आदमी
चिल्ला चिल्लाकर बता रहा था
आज दूसरा दिन हुआ है
मंदिर को खुले और
हिंसा फिर होने लगी है
मुझे उसकी बात पर हॅसी सी आयी
तभी पुलिसवाले ने मेरी तरफ निगाह घुमायी
और बोला मिस्टर! तुम जानते थे इसे?
मैने कहा- जी नहीं,
तभी दूसरे ने लाश को
पलट दिया
लाश का चेहरा देखते ही मै सकपका गया
खून से लिपटी
कटे हाथों वाली वह लाश
किसी और की नहीं
मेरी अपनी ही तो थी?

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