पत्नीजी के जन्मदिवस पर
हर दिन यूं रंगीन ना होता
अगर आज का दिन ना होता
ना तुम इस धरती पर आती
बनती मेरी जीवन साथी
इस जीवन में इतनी खुशियां ,
आ पाना मुमकिन ना होता
अगर आज का दिन ना होता
यह सुन्दर मृदु प्यार तुम्हारा
यह निश्छल व्यवहार तुम्हारा
इतनी सेवा और समर्पण ,
शायद ये तुम बिन ना होता
अगर आज का दिन ना होता
निशदिन खिला रसीले व्यंजन
तुमने तृप्त किया मेरा मन
जीवन में मिठास भर दिया ,
तुम बिन ये लेकिन ना होता
अगर आज का दिन ना होता
मन था प्यासा ,बहुत उदासा
तुम गंगा सी ,मैं यमुना सा
यदि अपना संगम ना होता ,
हर दिन बड़ा हसीन ना होता
अगर आज का दिन ना होता
मदन मोहन बाहेती 'घोटू '
हर दिन यूं रंगीन ना होता
अगर आज का दिन ना होता
ना तुम इस धरती पर आती
बनती मेरी जीवन साथी
इस जीवन में इतनी खुशियां ,
आ पाना मुमकिन ना होता
अगर आज का दिन ना होता
यह सुन्दर मृदु प्यार तुम्हारा
यह निश्छल व्यवहार तुम्हारा
इतनी सेवा और समर्पण ,
शायद ये तुम बिन ना होता
अगर आज का दिन ना होता
निशदिन खिला रसीले व्यंजन
तुमने तृप्त किया मेरा मन
जीवन में मिठास भर दिया ,
तुम बिन ये लेकिन ना होता
अगर आज का दिन ना होता
मन था प्यासा ,बहुत उदासा
तुम गंगा सी ,मैं यमुना सा
यदि अपना संगम ना होता ,
हर दिन बड़ा हसीन ना होता
अगर आज का दिन ना होता
मदन मोहन बाहेती 'घोटू '
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें
कृपया अपने बहुमूल्य टिप्पणी के माध्यम से उत्साहवर्धन एवं मार्गदर्शन करें ।
"काव्य का संसार" की ओर से अग्रिम धन्यवाद ।