आम और जिंदगी -चार दोहे
१
मैंने चूँसा आम रस ,तुमने किया हलाल
तुमने टुकड़े खाये, मैं ,रस पी हुआ निहाल
२
अलग तरीके खान के ,फल है वो ही एक
तुम गूदा टुकड़े करो , देते गुठली फेंक
३
दबादबा,कर पिलपिला ,मैं पीयूँ रस घूँट
चूंस गुठलियां, ले रहा ,दूना आनंद लूट
४
ये जीवन है ,आम सा ,चूंसो ,मज़ा उठाव
यूं न काट,टुकड़े करो,कांटे,चुभा न खाव
घोटू
१
मैंने चूँसा आम रस ,तुमने किया हलाल
तुमने टुकड़े खाये, मैं ,रस पी हुआ निहाल
२
अलग तरीके खान के ,फल है वो ही एक
तुम गूदा टुकड़े करो , देते गुठली फेंक
३
दबादबा,कर पिलपिला ,मैं पीयूँ रस घूँट
चूंस गुठलियां, ले रहा ,दूना आनंद लूट
४
ये जीवन है ,आम सा ,चूंसो ,मज़ा उठाव
यूं न काट,टुकड़े करो,कांटे,चुभा न खाव
घोटू
बहुत खूब
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