बिन सेलून सभी कुछ सूना
मर्दों के बढे बाल ,दाढ़ी का भी बुरा हाल ,
नाइ की दुकाने सारी बंद पड़ी है
ब्यूटी के सेलून बंद ,रंगे न सँवारे केश ,
महिलाओं की कितनी ,मुश्किल बड़ी है
पतली धनुष जैसी ,भोंहे जो सुहानी सी थी ,
घास जैसी इत उत ,फैली बिगड़ी है
चिकनी सी टाँगे, बढे बाल हुई खुरदरी ,
और मूंछ रेख ,होंठ ऊपर उभरी है
घोटू
मर्दों के बढे बाल ,दाढ़ी का भी बुरा हाल ,
नाइ की दुकाने सारी बंद पड़ी है
ब्यूटी के सेलून बंद ,रंगे न सँवारे केश ,
महिलाओं की कितनी ,मुश्किल बड़ी है
पतली धनुष जैसी ,भोंहे जो सुहानी सी थी ,
घास जैसी इत उत ,फैली बिगड़ी है
चिकनी सी टाँगे, बढे बाल हुई खुरदरी ,
और मूंछ रेख ,होंठ ऊपर उभरी है
घोटू
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें
कृपया अपने बहुमूल्य टिप्पणी के माध्यम से उत्साहवर्धन एवं मार्गदर्शन करें ।
"काव्य का संसार" की ओर से अग्रिम धन्यवाद ।