पति की परेशानी
बीबी के साथ सदा खटपट ,पत्नी की डाट ,दिखाती रंग
किचकिच करती बच्चों की माँ ,तूतू मैंमैं घरवाली संग
जोरू से सुनता नित ताने ,गाली खा ,बेलन की पड़ती
अम्मा की बहू को पति हित ,ना समय ,काम में रह खटती
माशूका बड़ी टेढ़ी मिजाज ,हरदम नखरे ,तीखे तेवर
और डूब प्रेमरस प्रेमिका ,है हमें नचाती ऊँगली पर
वाइफ सर के ऊपर चढ़ कर ,दिखलाती रौब ,नहीं डरती
है पीछे प्राण के प्राणप्रिया ,व्रत करवा चौथ का है करती
सजनी ,सजधज कर,मोहपाश में बाँध लिया करती हमको
मिल जाता है थोड़ा सुकून ,बेगम हर लेती हर गम को
सिन्दूर मांग भर ,हृदयेश्वरी ,करती मांगों की फरमाइश
एक पति बेचारे पर रहती ,फिर कहाँ ख़ुशी की गुंजाईश
वो ढंग से हंस भी ना पाता , हरदम करता है समझौता
इस दुनिया में सबसे निरीह और दुखी जीव है पति होता
मदन मोहन बाहेती 'घोटू '
बीबी के साथ सदा खटपट ,पत्नी की डाट ,दिखाती रंग
किचकिच करती बच्चों की माँ ,तूतू मैंमैं घरवाली संग
जोरू से सुनता नित ताने ,गाली खा ,बेलन की पड़ती
अम्मा की बहू को पति हित ,ना समय ,काम में रह खटती
माशूका बड़ी टेढ़ी मिजाज ,हरदम नखरे ,तीखे तेवर
और डूब प्रेमरस प्रेमिका ,है हमें नचाती ऊँगली पर
वाइफ सर के ऊपर चढ़ कर ,दिखलाती रौब ,नहीं डरती
है पीछे प्राण के प्राणप्रिया ,व्रत करवा चौथ का है करती
सजनी ,सजधज कर,मोहपाश में बाँध लिया करती हमको
मिल जाता है थोड़ा सुकून ,बेगम हर लेती हर गम को
सिन्दूर मांग भर ,हृदयेश्वरी ,करती मांगों की फरमाइश
एक पति बेचारे पर रहती ,फिर कहाँ ख़ुशी की गुंजाईश
वो ढंग से हंस भी ना पाता , हरदम करता है समझौता
इस दुनिया में सबसे निरीह और दुखी जीव है पति होता
मदन मोहन बाहेती 'घोटू '
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें
कृपया अपने बहुमूल्य टिप्पणी के माध्यम से उत्साहवर्धन एवं मार्गदर्शन करें ।
"काव्य का संसार" की ओर से अग्रिम धन्यवाद ।