मुश्किल से ही होती है
उमड़े यौवन की रखवाली ,मुश्किल से ही होती है
झुकी हुई नज़रें मतवाली ,मुश्किल से ही होती है
जिसके मन में ,सदा अँधेरा ,मावस का पसरा रहता ,
उसमें खुशियों की दीवाली ,मुश्किल से ही होती है
जहाँ महकते फूल प्यार के ,और कलियाँ मुस्काती हो ,
बहुत सुरक्षित ,वो फुलवारी ,मुश्किल से ही होती है
फटे हाल पर बजा बांसुरी सदा चैन की ,खुश रहती ,
ऐसी सुखी ,शाही कंगाली ,मुश्किल से ही होती है
अच्छे साज औ' साजिंदे हो ,और सुरीले गायक हो ,
बजे न ताली ,तो कव्वाली ,मुश्किल से ही होती है
लाख लाद दो गहनों से और ,ढेरों साड़ी दिलवा दो,
लेकिन मेहरबान घरवाली ,मुश्किल से ही होती है
अच्छे दिन के इन्तजार में हमने बरसों बिता दिये
सुस्त सभी, 'घोटू ' खुशहाली ,मुश्किल से ही होती है
मदन मोहन बाहेती 'घोटू '
उमड़े यौवन की रखवाली ,मुश्किल से ही होती है
झुकी हुई नज़रें मतवाली ,मुश्किल से ही होती है
जिसके मन में ,सदा अँधेरा ,मावस का पसरा रहता ,
उसमें खुशियों की दीवाली ,मुश्किल से ही होती है
जहाँ महकते फूल प्यार के ,और कलियाँ मुस्काती हो ,
बहुत सुरक्षित ,वो फुलवारी ,मुश्किल से ही होती है
फटे हाल पर बजा बांसुरी सदा चैन की ,खुश रहती ,
ऐसी सुखी ,शाही कंगाली ,मुश्किल से ही होती है
अच्छे साज औ' साजिंदे हो ,और सुरीले गायक हो ,
बजे न ताली ,तो कव्वाली ,मुश्किल से ही होती है
लाख लाद दो गहनों से और ,ढेरों साड़ी दिलवा दो,
लेकिन मेहरबान घरवाली ,मुश्किल से ही होती है
अच्छे दिन के इन्तजार में हमने बरसों बिता दिये
सुस्त सभी, 'घोटू ' खुशहाली ,मुश्किल से ही होती है
मदन मोहन बाहेती 'घोटू '
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