रंगीन मिज़ाजी
दिन भर तपने वाला सूरज भी,
रोज शाम जब ढलता है ,
रंगीन मिज़ाज़ हो जाता है
और बदलियों के आँचल पर ,
तरह तरह के रंग बिखराता है
तो क्यों न हम,
अपने जीवन की,
ढलती उम्र के सांध्यकाल में
रंगीनियाँ लाये
जाते जाते जीवन का ,
पूरा आनंद उठायें
अंततः रात तो आनी ही है
घोटू
दिन भर तपने वाला सूरज भी,
रोज शाम जब ढलता है ,
रंगीन मिज़ाज़ हो जाता है
और बदलियों के आँचल पर ,
तरह तरह के रंग बिखराता है
तो क्यों न हम,
अपने जीवन की,
ढलती उम्र के सांध्यकाल में
रंगीनियाँ लाये
जाते जाते जीवन का ,
पूरा आनंद उठायें
अंततः रात तो आनी ही है
घोटू
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