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शनिवार, 27 फ़रवरी 2016

तू देख किसी का अच्छा कर

             तू देख किसी का अच्छा कर

मत सोच बुरा तू औरों का ,तेरा न भला वरना होगा
तुझको मुआवजा अपनी सब ,करतूतों का भरना होगा
औरों हित ,तूने निज मन में ,नफरत के बीज ,रखे बो है
रहता है दुखी ,यूं ही हरदम ,यह देख देख वो खुश क्यों है
है तेरे  घर में राज तेरा , अपने  घर  में वो राज करें
तेरे जलने और कुढ़ने का ,कैसे क्या कोई इलाज करे
जो हंसी ख़ुशी सबसे मिलता ,आते दुःख कभी करीब नहीं
तू कुढ़ कुढ़ कर बीमार पड़ा , दो रोटी,चैन  ,नसीब नहीं
तू झाँक जरा अपने मन में ,निज कर्मो का विश्लेषण कर
तू देख किसी का अच्छा कर ,तुझमे खुशियाँ जायेगी भर

मदन मोहन बाहेती'घोटू'

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