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सोमवार, 15 फ़रवरी 2016

कोई लड़की नहीं पटती

               कोई लड़की नहीं पटती

समा जाती है आआ कर,न जाने कितनी ही नदियां ,
              है हम गहरे समंदर वो,कोई तो बात है  हम में
भले ही पानी खारा है ,बुझा ना प्यास भी पाते,
              मगर विस्तृत बड़े है हम ,कशिश कुछ ख़ास है हम में
नहीं,छिछले,छिछोरे है ,बड़े गंभीर ,गहरे है,
                      भरे है मोती,रत्नो से ,रईसी खानदानी है
तरंगे मन में उठती है ,जो सबको खींच लेती है ,
                       उमंगें जोश तूफानी,भरी हम में जवानी है
किस समय रखना 'लो टाइड'किस समय ज्वार ले आना,
                          पुराने ये तजुर्बे है,जो हरदम काम आते है
न कोई जाल फेंकें है ,न डाले कोई भी काँटा ,
                     करोड़ों मछलियाँ प्यारी ,मगर फिर भी फंसाते है
मगर कुछ कुवे ,सरवर है ,भरा जिनमे मधुर जल है ,
                          नदी कोई भी भूले से,उधर का रुख नहीं करती
अगर अपने ही अपने में ,सिमट कर कोई रहता है ,
                       कोशिशे लाख करले पर ,कोई लड़की नहीं पटती 
 'घोटू '
                      
  '            
             
               

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