बारात में
शादी में उनकी क्या बताएं ,कैसे ठाठ थे
थे ढेर सारे स्नेक्स और स्टाल चाट के
क्या खायें और क्या चखें,मुश्किल में पड़े थे ,
वेटर बुलाते एक, तो आ जाते आठ थे
व्यंजन हजारों खाने की टेबल की शान थे
एक एक से बढ़ ,एक हसीं ,मेहमान थे
खाने पे जोर दे कि खानेवालों को देखें,
दुविधा फंसे ,हम तो यूं ही परेशान थे
फंक्शन में उनके रौनकें कुछ ऐसी रही थी
खाना था लाजबाब और शराब बही थी
चटखारे लेके बोला एक बूढा सा बराती ,
दुल्हन तो दुल्हन ,उसकी माँ भी ,कम तो नहीं थी
घोटू
शादी में उनकी क्या बताएं ,कैसे ठाठ थे
थे ढेर सारे स्नेक्स और स्टाल चाट के
क्या खायें और क्या चखें,मुश्किल में पड़े थे ,
वेटर बुलाते एक, तो आ जाते आठ थे
व्यंजन हजारों खाने की टेबल की शान थे
एक एक से बढ़ ,एक हसीं ,मेहमान थे
खाने पे जोर दे कि खानेवालों को देखें,
दुविधा फंसे ,हम तो यूं ही परेशान थे
फंक्शन में उनके रौनकें कुछ ऐसी रही थी
खाना था लाजबाब और शराब बही थी
चटखारे लेके बोला एक बूढा सा बराती ,
दुल्हन तो दुल्हन ,उसकी माँ भी ,कम तो नहीं थी
घोटू
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें
कृपया अपने बहुमूल्य टिप्पणी के माध्यम से उत्साहवर्धन एवं मार्गदर्शन करें ।
"काव्य का संसार" की ओर से अग्रिम धन्यवाद ।