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सोमवार, 15 फ़रवरी 2016

मज़ा

              मज़ा

न आता गर्म बालू से,गरम पानी की थैली से ,
        है तपती धूप में आता ,मज़ा असली सिकाई का
न सूखी बर्फियों में है ,न लड्डू ,बालूशाही में,
       जलेबी की टपकती चाशनी , सुख है  मिठाई  का
लूटते चोर डाकू और बड़े शोरूम मालों में ,
        मज़ा लेकिन निराला है ,हसीनो की लुटाई का 
मज़ा ना मार में माँ की,पिता की या कि टीचर की,
         मज़ा कुछ और ही होता है बीबी से  पिटाई का

घोटू

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