शहादत
अपनी रंगत ,अपनी सेहत ,अपनी खुशबू छोड़ कर ,
भीगता है रोज ,घिसता , साफ़ करता गंदगी
खुद फना हो जाता ,जिससे साफ़ इन्सां हो सके ,
ऐसे साबुन की शहादत को है मेरी बंदगी
घोटू
अपनी रंगत ,अपनी सेहत ,अपनी खुशबू छोड़ कर ,
भीगता है रोज ,घिसता , साफ़ करता गंदगी
खुद फना हो जाता ,जिससे साफ़ इन्सां हो सके ,
ऐसे साबुन की शहादत को है मेरी बंदगी
घोटू
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