बढ़तीं उमर की रईसी
हम हो गए रईस है इस बढ़ती उमर में,
सर पर है चांदी और कुछ सोने के दांत है
किडनी में,गॉलब्लेडर में ,स्टोन कीमती,
शक्कर का पूरा कारखाना ,अपने साथ है
अम्बानी के तो गैस के कुवें समुद्र में ,
हम तो बनाते गैस खुद ही ,दिन और रात है
है पास में इतना बड़ा अनुभव का खजाना ,
जिसको कि बांटा करते है हम ,खुल्ले हाथ है
घोटू
हम हो गए रईस है इस बढ़ती उमर में,
सर पर है चांदी और कुछ सोने के दांत है
किडनी में,गॉलब्लेडर में ,स्टोन कीमती,
शक्कर का पूरा कारखाना ,अपने साथ है
अम्बानी के तो गैस के कुवें समुद्र में ,
हम तो बनाते गैस खुद ही ,दिन और रात है
है पास में इतना बड़ा अनुभव का खजाना ,
जिसको कि बांटा करते है हम ,खुल्ले हाथ है
घोटू
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें
कृपया अपने बहुमूल्य टिप्पणी के माध्यम से उत्साहवर्धन एवं मार्गदर्शन करें ।
"काव्य का संसार" की ओर से अग्रिम धन्यवाद ।