जीवन संध्या
बड़ी बड़ी बुलंद इमारतें भी ,
शाम के धुंधलके में ,
नज़र नहीं आती है
अस्तित्व होते हुए भी ,
गुम हो जाती है
ऐसा ही होता है,
जब जीवन की संध्या आती है
घोटू
बड़ी बड़ी बुलंद इमारतें भी ,
शाम के धुंधलके में ,
नज़र नहीं आती है
अस्तित्व होते हुए भी ,
गुम हो जाती है
ऐसा ही होता है,
जब जीवन की संध्या आती है
घोटू
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