निमंत्रण
दे गए मुझको निमंत्रण ,स्वप्न थे कल रात आ के
कल मेरे अरमान की शादी तुम्हारी कामना से
तुम्हारे स्वर्णिम बदन पर ,कल सुबह हल्दी चढ़ेगी
चन्द्र मुख यूं ही सुहाना ,चमक और ज्यादा बढ़ेगी
तारिका की चुनरी में ,सज संवर तुम आओगी तो,
यूं ही तो मैं बावरा हूँ , धड़कने मेरी बढ़ेगी
देख कर सौंदर्य अनुपम ,गिर न जाऊं डगमगा के
कल मेरे अरमान की शादी तुम्हारी कामना से
शाम मैं घोड़ी चढूंगा,आऊंगा बारात लेकर
डाल वरमाला गले में ,बांध लोगी तुम उमर भर
मान हम साक्षी अगन को ,सात फेरे ,साथ लेंगे ,
सात वचनों को में बंधेंगे ,निभाने को जिंदगी भर
तृप्ती कितनी पाउँगा में ,सहचरी तुमको बना के
कल मेरे अरमान की शादी तुम्हारी कामना से
मदन मोहन बाहेती'घोटू'
दे गए मुझको निमंत्रण ,स्वप्न थे कल रात आ के
कल मेरे अरमान की शादी तुम्हारी कामना से
तुम्हारे स्वर्णिम बदन पर ,कल सुबह हल्दी चढ़ेगी
चन्द्र मुख यूं ही सुहाना ,चमक और ज्यादा बढ़ेगी
तारिका की चुनरी में ,सज संवर तुम आओगी तो,
यूं ही तो मैं बावरा हूँ , धड़कने मेरी बढ़ेगी
देख कर सौंदर्य अनुपम ,गिर न जाऊं डगमगा के
कल मेरे अरमान की शादी तुम्हारी कामना से
शाम मैं घोड़ी चढूंगा,आऊंगा बारात लेकर
डाल वरमाला गले में ,बांध लोगी तुम उमर भर
मान हम साक्षी अगन को ,सात फेरे ,साथ लेंगे ,
सात वचनों को में बंधेंगे ,निभाने को जिंदगी भर
तृप्ती कितनी पाउँगा में ,सहचरी तुमको बना के
कल मेरे अरमान की शादी तुम्हारी कामना से
मदन मोहन बाहेती'घोटू'
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें
कृपया अपने बहुमूल्य टिप्पणी के माध्यम से उत्साहवर्धन एवं मार्गदर्शन करें ।
"काव्य का संसार" की ओर से अग्रिम धन्यवाद ।