अंधेरा है अब भी
पर खुश हो लेते हैं
रौशनी की कल्पना से ही...
दुःख हैं बहुत से
पर दबा देते हैं
तमाम सुखों के
काल्पनिक
एहसासों से...
मुश्किलें हैं अनगिनत
पर हल कर लेते हैं
उन्हें खयालों में ही
हकीकत में हल होने तक...
खुशियां आती हैं जिन्दगी में
बहुत कम और कभी - कभी
पर मिला लेते हैं हमेशा इसमें
दूसरों की खुशियां और
बना डालते हैं अपने आसपास
एक खुशियों का सुन्दर सा जहां...
व्यस्त इतने रहते हैं
अपनों का हाल पूछने में कि
वक्त ही नहीं मिलता
अपने हाल पर रोने का...
कमाई बहुत ज्यादा नहीं है पर
लोगों की दुआयें इतनी हैं कि
ख्वाबों में ही सही
बहुत मजे में कट रही है जिन्दगी...
- विशाल चर्चित
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