पहली तारीख
पहली तारीख की रही ना,पहली वाली बात अब,
नगद नोटों में मिला करती थी हमको सेलरी
एक दिन तो समझते थे ,हम भी खुद को बादशाह,
जब कि नोटों से हमारी ,जेब रहती थी भरी
करती थी बीबी प्रतीक्षा,बना अच्छा नाश्ता ,
बच्चों की फरमाइशों का दौर आता था नया
जब से तनख्वाह बैंक में होने लगी है ट्रांसफर ,
वो करारे नोट गिनने का का सुहाना थ्रिल गया
घोटू
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