बदला हुआ माहौल
आजकल कुछ इस तरह,बदला हुआ माहौल है,
बदतमीजी,बददिमागी,बदमिज़ाजी आम है
प्रेम के बंधन में कोई,बंधता है ना बांधता ,
हो गया है इस कदर ,खुदगर्ज हर इंसान है
सिखाया करते थे हमको पाठ अमन-ओ-चैन का,
अदावत और झगडे ही बन गया उनका काम है
था जो गुलशन ,गुलों से गुलजार हरदम महकता ,
कांटे वाले केक्टस अब बने उसकी शान है
ठंडी ठंडी हवाएँ जो सहलाती थी जिस्म को,
आजकल झझकोरती है ,बन गयी तूफ़ान है
इस तरह के हाल से हैं हम गुजरने लग गए,
ये हमारी अपनी ही करतूत का अंजाम है
मदन मोहन बाहेती'घोटू'
आजकल कुछ इस तरह,बदला हुआ माहौल है,
बदतमीजी,बददिमागी,बदमिज़ाजी आम है
प्रेम के बंधन में कोई,बंधता है ना बांधता ,
हो गया है इस कदर ,खुदगर्ज हर इंसान है
सिखाया करते थे हमको पाठ अमन-ओ-चैन का,
अदावत और झगडे ही बन गया उनका काम है
था जो गुलशन ,गुलों से गुलजार हरदम महकता ,
कांटे वाले केक्टस अब बने उसकी शान है
ठंडी ठंडी हवाएँ जो सहलाती थी जिस्म को,
आजकल झझकोरती है ,बन गयी तूफ़ान है
इस तरह के हाल से हैं हम गुजरने लग गए,
ये हमारी अपनी ही करतूत का अंजाम है
मदन मोहन बाहेती'घोटू'
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें
कृपया अपने बहुमूल्य टिप्पणी के माध्यम से उत्साहवर्धन एवं मार्गदर्शन करें ।
"काव्य का संसार" की ओर से अग्रिम धन्यवाद ।