बताओ,मैं कौन हूँ?
गुलाबी सी रंगत और गोटा किनारी
मेरी शक्ल सबको ही लगती है प्यारी
किसी के भी हाथों में ,जब हूँ मै आता
मुझे देखता ,मुझपे ,नज़रें गड़ाता
बड़े प्यार से मुझको सहला के ,छू कर
आगोश में अपने ,लेता मुझे भर
हसीं हो,जवां हो या बूढा या बच्चा
सभी को सुहाता मै लगता हूँ अच्छा
भले ही जवां हूँ,कड़क मै करारा
नरम,लुगलुगा ,ढीला पर लगता प्यारा
कैसी भी चाहे ,रहे मेरी सेहत
मगर कम न होती,कभी मेरी कीमत
गरीबों की रोजी,अमीरों की दौलत
सभी काम होते है मेरी बदौलत
कितने ही हाथों से मैं हूँ गुजरता
और कितनो का ही हूँ मैं पेट भरता
रुकी फाइलों को ,चलाता हूँ मै ही
दुनिया को सारी ,नचाता हूँ मै ही
लुभाता हूँ सबको ,गुलाबी,करारा
मै कौन हूँ, नाम क्या है हमारा ?
मदन मोहन बाहेती'घोटू'
गुलाबी सी रंगत और गोटा किनारी
मेरी शक्ल सबको ही लगती है प्यारी
किसी के भी हाथों में ,जब हूँ मै आता
मुझे देखता ,मुझपे ,नज़रें गड़ाता
बड़े प्यार से मुझको सहला के ,छू कर
आगोश में अपने ,लेता मुझे भर
हसीं हो,जवां हो या बूढा या बच्चा
सभी को सुहाता मै लगता हूँ अच्छा
भले ही जवां हूँ,कड़क मै करारा
नरम,लुगलुगा ,ढीला पर लगता प्यारा
कैसी भी चाहे ,रहे मेरी सेहत
मगर कम न होती,कभी मेरी कीमत
गरीबों की रोजी,अमीरों की दौलत
सभी काम होते है मेरी बदौलत
कितने ही हाथों से मैं हूँ गुजरता
और कितनो का ही हूँ मैं पेट भरता
रुकी फाइलों को ,चलाता हूँ मै ही
दुनिया को सारी ,नचाता हूँ मै ही
लुभाता हूँ सबको ,गुलाबी,करारा
मै कौन हूँ, नाम क्या है हमारा ?
मदन मोहन बाहेती'घोटू'
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