कृष्णलीला
कन्हैया छोटे थे एक दिन,उन्होंने खाई थी माटी
बड़ी नाराज होकर के , यशोदा मैया थी डाटी
'दिखा मुंह अपना',कान्हा ने ,खोल मुंह जब दिखाया था
तो उस मुंह में यशोदा को ,नज़र ब्रह्माण्ड आया था
मेरी बीबी को भी शक था , मिट्टी बेटे ने है खाई
खुला के मुंह जो देखा तो,उसे दुनिया नज़र आयी
कहीं 'चाइनीज ' नूडल थी,कहीं 'पॉपकॉर्न 'अमरीकी'
कहीं थे 'मेक्सिकन' माचो,कहीं चॉकलेट थी 'स्विस 'की
कहीं 'इटली'का पीज़ा था,कहीं पर चीज 'डेनिश' थी
कहीं पर 'फ्रेंच फ्राइज 'थे,कहीं कुकीज़ 'इंग्लिश 'थी
गर्ज ये कि मेरे बेटे के ,मुंह में दुनिया थी सारी
यशोदा सी मेरी बीबी , बड़ी अचरज की थी मारी
वो बोली लाडला अपना ,बहुत ही गुल खिलायेगा
बड़ा हो ,गोपियों के संग ,रास निश्चित ,रचायेगा
मदन मोहन बाहेती'घोटू'
कन्हैया छोटे थे एक दिन,उन्होंने खाई थी माटी
बड़ी नाराज होकर के , यशोदा मैया थी डाटी
'दिखा मुंह अपना',कान्हा ने ,खोल मुंह जब दिखाया था
तो उस मुंह में यशोदा को ,नज़र ब्रह्माण्ड आया था
मेरी बीबी को भी शक था , मिट्टी बेटे ने है खाई
खुला के मुंह जो देखा तो,उसे दुनिया नज़र आयी
कहीं 'चाइनीज ' नूडल थी,कहीं 'पॉपकॉर्न 'अमरीकी'
कहीं थे 'मेक्सिकन' माचो,कहीं चॉकलेट थी 'स्विस 'की
कहीं 'इटली'का पीज़ा था,कहीं पर चीज 'डेनिश' थी
कहीं पर 'फ्रेंच फ्राइज 'थे,कहीं कुकीज़ 'इंग्लिश 'थी
गर्ज ये कि मेरे बेटे के ,मुंह में दुनिया थी सारी
यशोदा सी मेरी बीबी , बड़ी अचरज की थी मारी
वो बोली लाडला अपना ,बहुत ही गुल खिलायेगा
बड़ा हो ,गोपियों के संग ,रास निश्चित ,रचायेगा
मदन मोहन बाहेती'घोटू'
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