On Thursday, July 10, 2014, madan mohan Baheti <baheti.mm@gmail.com> wrote:
तीन चतुष्पद
१
तुम्हारा रूप प्यारा है,अदाएं शोख और चंचल
तुम्हारी चाल मतवाली, कमर में पड़ने लगते बल
बुलाता,पास ना आती,हमेशा टालती ,कह ,कल
कलेजा चीर देती हो ,जब कहती हो हमें अंकल
२
हसीना को पटाने में ,पसीने छूट जाते है
हसीना मान जाती तो पसीना हम बहाते है
प्यार के बाद शादी कर,बोझ बढ़ जाता है सर पर ,
गृहस्थी को चलाने में ,पसीने छूट जाते है
३
मेरी तारीफ़ करते ,लक्ष्मी घर की बताते हो
कमा कर दूसरी फिर लक्ष्मी तुम घरपे लाते हो
मेरी सौतन को जब मैं खर्च कर ,घर से भगाती हूँ,
मुझपे खर्चीली होने की,सदा तोहमत लगाते हो
मदन मोहन बाहेती 'घोटू'
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