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बुधवार, 30 जुलाई 2014

आज का ज़माना

                आज का ज़माना

ज़माना ऐसा आया है ,आपको हम क्या बतलाएं
हो रही रोज ही अगवा ,यहाँ कितनी ही सीताएं
बढ़ रही रावणो की भीड़ है इस कदर दुनिया में ,
  नहीं कोई  जटायु  है ,बचाने  सामने  आये
कचहरी ,कोर्ट में अब राम रावण युद्ध होता है ,
नहीं हनुमान कोई सोने की लंका जला पाये
भले कलयुग है लेकिन त्रेता युग की दास्ताने सब,
नए अंदाज से फिर से यहाँ ,  दोहराई  है  जाए
नहीं होती अगर पूजा ,कुपित है इंद्र हो जाता ,
नहीं कान्हा ,बचाने को ,जो गोवर्धन ,उठा पाये
दुशासन,द्रोपदी का चीर हरता ,सामने सबके,
नहीं हिम्मत किसी की है,बचाने के लिए  आये
 कई पांडव,कई कौरव,शकुनि मामा है कितने ,
कृष्ण बन कर ,वकीलों से ,लड़ाई को है उकसाये
भले कलयुग है द्वापरयुग की लेकिन दास्ताने सब,
नए अंदाज से फिर से ,यहाँ दोहराई  है जाये

मदन मोहन बाहेती'घोटू'

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