नज़रिया-औरतों का
पति गैरों के गुण वाले ,और स्मार्ट दिखते है ,
पति खुद का हमेशा ही ,नज़र आता निकम्मा है
सास में उसको दिखती है , कमी खलनायिका की,
गुणों की खान लगती है ,हमेशा खुद की अम्मा है
ससुर कमतर नज़र आते ,हमेशा ही पिता से है,
बहन के गाती है गुण पर ,ननद से पट न पाती है
जहाँ पर काटना है जिंदगी ,वो घर न भाता है ,
सदा तारीफ़ में वो मायके के गीत गाती है
है खुदऔरत मगर अक्सर यही होता है जाने क्यूँ ,
नज़र में उसकी,बेटी और बेटे में फरक होता
बेटियां नूर है घर की ,वो खुद कोई की बेटी है,
मगर वो चाहती दिल से, बहू उसकी जने पोता
मदन मोहन बाहेती'घोटू'
पति गैरों के गुण वाले ,और स्मार्ट दिखते है ,
पति खुद का हमेशा ही ,नज़र आता निकम्मा है
सास में उसको दिखती है , कमी खलनायिका की,
गुणों की खान लगती है ,हमेशा खुद की अम्मा है
ससुर कमतर नज़र आते ,हमेशा ही पिता से है,
बहन के गाती है गुण पर ,ननद से पट न पाती है
जहाँ पर काटना है जिंदगी ,वो घर न भाता है ,
सदा तारीफ़ में वो मायके के गीत गाती है
है खुदऔरत मगर अक्सर यही होता है जाने क्यूँ ,
नज़र में उसकी,बेटी और बेटे में फरक होता
बेटियां नूर है घर की ,वो खुद कोई की बेटी है,
मगर वो चाहती दिल से, बहू उसकी जने पोता
मदन मोहन बाहेती'घोटू'
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