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सोमवार, 27 मई 2013

मन की खिड़कियाँ

    

जरा देखो,खोल मन की खिड़कियाँ ,
                 ठंडी और ताज़ी हवाएं आयेगी 
जायेंगे अवसाद सारे दूर हट,
                 और मन की घुटन सब घट जायेगी 
आयेगी बौछार खुशियों की मधुर,
                   और सुख से जिन्दगी सरसायेगी 
निकल कर तो देखो अपने कूप से,
                    जगत की जगमग नज़र आ जायेगी 
दिन में सूरज राह रोशन करेगा ,
                     रात में भी चांदनी  छिटकायेगी 
मार कर बैठे रहोगे कुण्डली ,
                      मोह माया  उम्र भर  तडफायेगी
और जब जाओगे दुनिया छोड़ कर ,
                       धन और दौलत ,काम ना कुछ आयेगी 
  आज का पूरा मज़ा लो आज तुम,
                       कल की चिंता ,कल ही देखी  जायेगी  

मदन मोहन बाहेती'घोटू'

बुढापा -सबको आता

   

राम और कृष्ण का अवतार लेकर ,
  आये भगवान थे
पर मानव शरीर लिए हुए ,
वो भी तो  इंसान थे 
उनने भी मानव शरीर के ,
सारे दुःख उठाये होंगे  
बुढापे की तकलीफ़ भी पाये  होंगे 
रामजी ने चौदह बरस वनवास काटा,
सीताजी का हरण हुआ ,
लंका पर चढ़ाई कर ,
रावण का संहार किया  
अयोध्या आये पर धोबी के कहने पर,
गर्भवती सीता को ,घर से निकाल दिया 
बिना पत्नी के ,उनके जीवन में,
अन्धकार छा गया 
पर अपनी उस गलती के पश्चाताप में ,
बुढ़ापे में,उन्हें भी डिप्रेशन आ गया 
बड़े परेशान और डिस्टर्ब थे रहते 
और इसी घुटन में,
उन्होंने सरयू में डूब कर
 आत्महत्या की,ऐसा लोग है कहते 
कृष्ण जी ने भी किया था ,द्वारका पर शासन 
पर बुढापे में नहीं चला ,उनका अनुशासन 
उनके सब यदुवंशी ,
आपस में ही लड़ने लग गये  
तो शांति की तलाश में,
वो द्वारका छोड़ कर,
दूर प्रभाष क्षेत्र की तरफ चले गये  
अकेले,तनहा,एक वृक्ष के नीचे ,
शांति से कर रहे थे   विश्राम 
और वहीँ पर लगा उन्हें बाण 
और वो कर गए महाप्रयाण 
अंतिम समय में ,उनके परिवार का,
कोई भी सदस्य ,नहीं आया काम 
तो भगवान भी ,जब इंसान का रूप लेते है, 
बढती उम्र में ,उनके साथ भी  ऐसा होता है
 सब साथ छोड़ते , कोई साथ नहीं होता है 
ओ अगर तुझे ,तेरे अपनों ने छोड़ दिया है ,
और बुढापे में  परेशानी होती है,
तो काहे को रोता है 

मदन मोहन बाहेती'घोटू'

रविवार, 26 मई 2013

घोटाला ही घोटाला

      घोटाला ही घोटाला 
   

जिधर भी हाथ  डाला 
घोटाला ही घोटाला 
किसी के हाथ काले,
किसी का मुंह  काला 
बड़ा बिगड़ा है मंजर 
घोटाला हर कहीं पर 
घोटाला थोक में है 
ये तीनो लोक में है 
बड़ा  आकाश प्यारा 
वहाँ 'टू जी ' घोटाला 
ख़रीदे  हेलिकोफ्टर 
घोटाला था वहां पर 
जमीं पर रेल में है 
प्रमोशन  खेल में है 
घोटाला भर्तियों  में 
जनाजे अर्थियों   में 
था कामनवेल्थ खेला 
सभी ने कर झमेला 
खेल कुछ खेला ऐसा 
कमाया खूब पैसा 
कोयला ब्लोक बांटे 
अपने ही लोग छांटे 
कर रहे लोग चीटिंग 
किया स्पॉट फिक्सिंग 
एक तो करते चोरी 
उसपे भी सीनाजोरी 
हुई मैली है गंगा 
हरेक नेता है नंगा 
जहाँ भी मिला मौक़ा 
देश को दिया धोका 
भतीजा और चाचा 
ससुर,दामाद राजा 
भांजा और मामा 
भरें अपना खजाना  
इस तरह चला फेशन 
विदेशी देश में धन 
भेजते  कर हवाला 
घोटाला ही घोटाला 
किसी के हाथ काले,
किसी का मुंह काला 

मदन मोहन बाहेती'घोटू'

 

मेरी माँ सचमुच कमाल है

      मेरी माँ सचमुच कमाल है 
  

बात बात में हर दिन ,हर पल,
                            रखती  जो मेरा ख़याल है 
छोटा बच्चा मुझे समझ कर,
                            करती मेरी  देखभाल  है 
ममता की जीवित मूरत है,
                             प्यार भरी  वो बेमिसाल है 
सब पर अपना प्यार लुटाती ,
                              मेरी माँ सचमुच  कमाल है 
जब तक मै  ना बैठूं,संग में,
                               वो खाना ना खाया करती 
निज थाली से पहले मेरी ,
                               थाली वो पुरसाया  करती
मैंने क्या क्या लिया और क्या ,
                               खाया रखती ,तीक्ष्ण नज़र है 
वो मूरत    साक्षात प्रेम की ,
                               वो तो ममता  की निर्झर  है  
बूढी है पर अगर सहारा  ,
                                दो तो मना किया करती  है 
जीवन की बीती यादों में ,
                                डूबी हुई ,जिया करती  है 
कोई बेटी बेटे का जब ,
                              फोन उसे  आ जाया  करता 
मैंने देखा ,बातें करते  ,
                             उन आँखों में प्यार उमड़ता 
पोते,पोती,नाती,नातिन,
                             सब की लिए फिकर है मन में 
पूजा पाठ,सुमरनी ,माला ,
                               डूबी रहती  रामायण में 
कोई जब आता है मिलने ,
                                 बड़ी मुदित खुश हो जाती है 
अपने स्वर्ण दन्त चमका कर ,
                                    हो प्रसन्न वो मुस्काती है  
बाते करने और सुनने का ,
                                   उसके मन में बड़ा  चाव है 
अपनापन, वात्सल्य भरा है ,
                                   और सबके प्रति प्रेम भाव है 
याददाश्त कमजोर हो गयी ,
                                    बिसरा देती है सब बातें 
है कमजोर ,मगर घबराती ,
                                  है दवाई की गोली  खाते 
उसके बच्चे ,स्वस्थ ,खुशी हो ,
                                  देती आशीर्वाद  हमेशा 
अपने   गाँव ,पुराने घर को ,
                                   करती रहती याद हमेशा 
बड़ा धरा सा ,विस्तृत नभ सा ,
                                 उसका मन इतना विशाल है  
सब पर अपना प्यार लुटाती,
                                  मेरी माँ  सचमुच  कमाल है 

मदन मोहन बाहेती'घोटू'

हाले चमन

    

था खूबसूरत ,खुशनुमा,खुशहाल जो चमन ,
            भंवरों ने रस चुरा चुरा ,बदनाम  कर दिया 
कुछ उल्लुओं ने  डालों पे डेरे बसा लिए,
             कुछ चील कव्वों ने भी परेशान कर दिया 
था  खूबसूरत,मखमली जो लॉन हरा सा ,
             पीला सा पड  गया है खर पतवार उग गये ,
माली यहाँ के बेखबर ,खटिया पे सो रहे ,
              गुलजार गुलिस्ताँ को बियाबान  कर दिया 

मदन मोहन बाहेती'घोटू'  

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