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शुक्रवार, 24 जुलाई 2020

प्यार का कबूलनामा

तुम्हे प्यार करते है ,करते रहेंगे ,बुढ़ापे में हम
हमारी मोहब्बत न कम कर सकेगा ,उम्र का सितम

जवानी का जज्बा ,अभी भी है जिन्दा
उड़ाने है भरता ,ये दिल का परिंदा
चुहलबाजियां वो ,वही चुलबुलापन
उमर बढ़ गयी पर ,अभी भी है कायम
तुम्हे अपने दिल में,बसा कर रखेंगे जब तक है दम
तुम्हे प्यार करते हैं ,करते रहेंगे ,बुढ़ापे में हम

हुए बाल उजले ,दिल भी है उजला
था पहले भी पगला ये अब भी है पगला
तुम्हारी भी आँखों में ,उल्फत वही है
हमारे दिलों में मोहब्बत वही है
दिलोजान में तुम ,समाये हुए हो ,हमारे सनम
तुम्हे प्यार करते है ,करते रहेंगे ,बुढ़ापे में हम

वही हुस्न तुममे ,नज़र देखती है
मोहब्बत कभी ना ,उमर देखती है
तुम्हे छू के अब भी ,सिहरता बदन है
धधकती हृदय में ,मोहब्बत अगन है
हम मरते दम तक ,निभाएंगे उल्फत ,तुम्हारी कसम
तुम्हे प्यार करते है ,करते रहेंगे , बुढ़ापे में हम

मदन मोहन बाहेती 'घोटू '

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