आज मन बदमाश सा है
आज मन बदमाश सा है
करेगा हरकत ये कोई ,हो रहा अहसास सा है
आज मन बदमाश सा है
न जाने क्यों ,आज अंदर ,सुगबुगाहट हो रही है
कुछ न कुछ करने की मन में ,कुलबुलाहट हो रही है
जागृत सी हो रही है ,वही फिर आदत पुरानी
कोई आ जाये नज़र में ,करें उससे छेड़खानी
उठ रहा शैतानियों का ,ज्वार मन में ख़ास सा है
आज मन बदमाश सा है
बहुत विचलित हो रहा,उतावला और बेसबर है
आज मौसम है रूमानी ,क्या उसी का ये असर है
चाहता मिल जाये कोई , बना कर कोई बहाना
शरारत करने को आतुर ,हो रहा है ये दीवाना
डोलता ,कर मटरगश्ती ,कर रहा तलाश सा है
आज मन बदमाश सा है
देख सब दुनिया रही है ,डर इसे पर नहीं किंचित
लाख कोशिश कर रहा मैं ,पर न हो पाता नियंत्रित
गुल खिलायेगा कोई ये ,ढूंढ बस मौका रहा है
आज यह व्यवहार उसका ,खुद मुझे चौंका रहा है
शराफत पर लग रहा ,जैसे ग्रहण खग्रास सा है
आज मन बदमाश सा है
मदन मोहन बाहेती 'घोटू '
आज मन बदमाश सा है
करेगा हरकत ये कोई ,हो रहा अहसास सा है
आज मन बदमाश सा है
न जाने क्यों ,आज अंदर ,सुगबुगाहट हो रही है
कुछ न कुछ करने की मन में ,कुलबुलाहट हो रही है
जागृत सी हो रही है ,वही फिर आदत पुरानी
कोई आ जाये नज़र में ,करें उससे छेड़खानी
उठ रहा शैतानियों का ,ज्वार मन में ख़ास सा है
आज मन बदमाश सा है
बहुत विचलित हो रहा,उतावला और बेसबर है
आज मौसम है रूमानी ,क्या उसी का ये असर है
चाहता मिल जाये कोई , बना कर कोई बहाना
शरारत करने को आतुर ,हो रहा है ये दीवाना
डोलता ,कर मटरगश्ती ,कर रहा तलाश सा है
आज मन बदमाश सा है
देख सब दुनिया रही है ,डर इसे पर नहीं किंचित
लाख कोशिश कर रहा मैं ,पर न हो पाता नियंत्रित
गुल खिलायेगा कोई ये ,ढूंढ बस मौका रहा है
आज यह व्यवहार उसका ,खुद मुझे चौंका रहा है
शराफत पर लग रहा ,जैसे ग्रहण खग्रास सा है
आज मन बदमाश सा है
मदन मोहन बाहेती 'घोटू '
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