हस्बेण्डों का क्या होगा ?
जो अगर बीबियां चली जाय स्ट्राइक पर ,
तो क्या होगा इन बेचारे हस्बेंडों का
जो बात बात में उन पर हुकुम चलाते है ,
क्या होगा उन आलस डूबे मुस्टंडों का
ना सुबह मिलेगी चाय,नाश्ता गरम नहीं ,
ना चड्डी ना बनियान ,तौलिया ना सूखा
ना कपड़े प्रेस किये ऑफिस को जाने को ,
ना टिफिन मिलेगा पैक ,पड़े रहना भूखा
ना तो मुस्कराती 'बाय बाय' ऑफिस जाते ,
ना कोई वेलकम मिले तुम्हे जब घर आओ
मुंह फुला तुम्हारी प्रिया तुम्हे देखे भी ना ,
तो फिर तुम पर कैसी गुजरेगी ,बतलाओ
सॉरी सॉरी कह कर उनसे मांगो माफ़ी
होता आया है बेड़ा गर्क घमंडों का
जो अगर बीबियां चली जाय स्ट्राइक पर ,
तो क्या होगा इन बेचारे हस्बेंडों का
दिन किसी तरह भी जैसे तैसे गुजरेगा ,
पर मुश्किल होगी बहुत ,रात जब आएगी
बीबी पलंग पर खर्राटे भर सोयेगी,
और तकिया दे, सोफे पर तुम्हे सुलायेगी
ना बात सुनेगी ,ना तुमसे कुछ बोलेगी
उसकी यह चुप्पी दिल तुम्हारा तोड़ेगी
ना आने देगी पास न छूने ही देगी ,
तुमसे वह घुटने झुकवा कर ही छोड़ेगी
उसकी हर बात ख़ुशी से मानोगे हरदम ,
ना कोई तोड़ है बीबी के हथकंडों का
जो अगर बीबियां चली जाय स्ट्राइक पर ,
तो क्या होगा इन बेचारे हस्बेंडों का
मदन मोहन बाहेती 'घोटू '
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