एक सन्देश-

यह ब्लॉग समर्पित है साहित्य की अनुपम विधा "पद्य" को |
पद्य रस की रचनाओ का इस ब्लॉग में स्वागत है | साथ ही इस ब्लॉग में दुसरे रचनाकारों के ब्लॉग से भी रचनाएँ उनकी अनुमति से लेकर यहाँ प्रकाशित की जाएँगी |

सदस्यता को इच्छुक मित्र यहाँ संपर्क करें या फिर इस ब्लॉग में प्रकाशित करवाने हेतु मेल करें:-
kavyasansaar@gmail.com
pradip_kumar110@yahoo.com

इस ब्लॉग से जुड़े

शनिवार, 8 सितंबर 2018

प्रातः भ्रमण 

रोज रोज,हर प्रातः प्रातः 
पति पत्नी दोनों साथ साथ 
सेहत के लिए भ्रमण करते,
हँस करते सबसे मुलाकात

कुछ प्रौढ़ और कुछ थके हुए
कुछ वृद्ध और कुछ थके हुए 
कुछ जैसे तैसे बिता रहे ,
अपने जीवन का   उत्तरार्ध 
रोज रोज हर प्रातः प्रातः 

कुछ रहते निज बच्चों के संग 
कुछ कभी सुखी ,कुछ कभी तंग 
एकांत समय में बतलाते ,
अपने सुख दुःख की सभी बात 
रोज रोज हर प्रातः प्रातः 

कह बीते कल के हालचाल 
देते निकाल ,मन का गुबार 
हलके मन प्यार भरी बातें ,
करते हाथों में दिए हाथ 
रोज रोज हर प्रातः प्रातः 

कोई प्रसन्न है कोई खिन्न 
सबकी मन स्तिथि भिन्न भिन्न 
सब भुला ,पुनः चालू करते ,
एक अच्छे दिन की शुरुवात 
रोज रोज हर प्रातः प्रातः 


मदन मोहन बाहेती 'घोटू ' 
 

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें

कृपया अपने बहुमूल्य टिप्पणी के माध्यम से उत्साहवर्धन एवं मार्गदर्शन करें ।
"काव्य का संसार" की ओर से अग्रिम धन्यवाद ।

हलचल अन्य ब्लोगों से 1-