कुछ लोग कबूतर होते है
कुछ भूरे ,चितकबरे ,सफ़ेद
आपस में रखते बहुत हेत
कुछ दाना डालो,जुट जाते
दाना चुग लेते ,उड़ जाते
साथी मतलब भर होते है
कुछ लोग कबूतर होते है
कुछ इतने गंदे होते है
मतलब में अंधे होते है
खा बीट वहींपे किया करते
अपनों को चीट किया करते
और बैठे सर पर होते है
कुछ लोग कबूतर होते है
ये बोल गुटर गूं ,प्यार करे
रहते चौकन्ने ,डरे डरे
संदेशे ,लाते ,ले जाते
ये दूत शांति के कहलाते
खूं गर्म के मगर होते है
कुछ लोग कबूतर होते है
होते आशिक़ तबियत वाले
गरदन मटका ,डोरे डाले
नित नयी कबूतरनी लाते
और इश्क़ खुले में फरमाते
ये तबियत के तर होते है
कुछ लोग कबूतर होते है
मदन मोहन बाहेती 'घोटू '
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