जीवन को यूं ही चलने दो
अपनी करनी करते जाओ ,लोग अगर जलते, जलने दो
जीवन को यूं ही चलने दो
लोगों की तो आदत ही है ,बार बार तुमको टोकेंगे
ध्यान तुम्हारा भटकायेंगे ,राह तुम्हारी वो रोकेंगे
देख शान से चलता हाथी ,कुत्ते ,कुत्ते है भौंकेगे
तुम्हारा उत्कर्ष देख कर ,उनको खलता है ,खलने दो
जीवन को यूं ही चलने दो
जिनकी फितरत डाह,दाह है जलेभुने,मन में खीजेंगे
तुम्हारी गलतियां पकड़ कर ,अपनी पर आँखें मीचेंगे
भीड़ केंकडों की है ,कोई बढ़ा ,सभी टाँगे खीचेंगे
उनका हश्र बुरा ही होगा ,हाथ अगर मलते ,मलने दो
जीवन को यूं ही चलने दो
कई पेंतरे बदलेंगे वो ,साम दंड सब अपनाएंगे
कभी तुम्हे डालेंगे दाना ,और सर पर भी बिठलायेंगे
सिंद्दांतों पर अटल रहे तुम ,वो औंधे मुंह गिर जाएंगे
कितनी भी कोशिश करें वो ,दाल नहीं उनकी गलने दो
जीवन को यूं ही चलने दो
आखिर जीत सत्य की होगी ,और झूंठ घुटने टेकेगी
उनका माल हजम कर जनता ,उन्हें अंगूठा दिखला देगी
अंत बुरे का बुरा सदा है , ये सारी दुनिया देखेगी
लाओ सामने असली चेहरा ,पहन नकाब नहीं छलने दो
जीवन को यूं ही चलने दो
मदन मोहन बाहेती 'घोटू '
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