देखो मुझको डाटा न करो
देखो मुझको डाटा न करो ,चिल्ला इस तरह उच्च स्वर में
वरना हम तुम की नोकझोंक ,के किस्से होंगे घर घर में
ऑफिस में करते कद्र सभी ,
तुम मुझे समझती हो बेढब
पर बात और बिन बात मुझे ,
तुम डाटा करती हो जब तब
होंगे डिस्टर्ब पडोसी सब ,
गाली दे देकर कोसेंगें
क्या असर पड़ेगा बच्चों पर ,
मम्मी पापा क्या सोचेंगे
पर तुम्हे कोई परवाह नहीं ,
थोड़ा धीरज ना धर पाती
मन माफिक जो कुछ नहीं हुआ ,
बस डंडा लेकर चढ़ जाती
तुम सीखो धीरज धरना भी
ऊपरवाले से डरना भी
इस रोज रोज के झगड़े से ,हो गया तंग हूँ डियर मैं
देखो मुझको डाटा न करो ,चिल्ला इस तरह उच्च स्वर में
है ये भी बात नहीं कि है
बोली में तुम्हारे तीखापन
है बहुत मधुर स्वर तुम्हारा ,
पढ़ती जब गीता ,रामायण
वह मधुर तुम्हारी बोली थी ,
जिसने मोहा था मेरा मन
अब भी बच्चों और महरी से
तुम मीठी बात करो हरदम
फुसफुसा बात करती मुझसे ,
तुम हंसकर ,बहुत मधुर स्वर में
जब मूड प्यार का होता है ,
हम तुम होते है बिस्तर में
वो मीठे स्वर मुंह पर लाओ
इस तरह डाट मत चिल्लाओ
पुचकार कहो,सब काम करू,बन कर तुम्हारा नौकर मैं
देखो मुझको डाटा न करो , चिल्ला इस तरह उच्च स्वर में
मदन मोहन बाहेती 'घोटू '
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