हम भी तो है
अगर बसाना है जो कोई निगाहों में ,
हम भी तो है
साथ चाहिए,यदि जीवन की राहों में,
हम भी तो है
अगर जगह खाली तुम्हारी चाहों में,
हम भी तो है
क्या रख्खा है,यूं ही ठंडी आहों में ,
हम भी तो है
तकिये को तुमक्यों भरती हो बाहों में ,
हम भी तो है
पलक बिछा कर बैठे तेरी राहों में,
हम भी तो है
जो दर्दे दिल करती दूर ,दवाओं में ,
हम भी तो है
भरने रंगत ,मौसम और फिजाओं में ,
हम भी तो है
मदन मोहन बाहेती'घोटू'
अगर बसाना है जो कोई निगाहों में ,
हम भी तो है
साथ चाहिए,यदि जीवन की राहों में,
हम भी तो है
अगर जगह खाली तुम्हारी चाहों में,
हम भी तो है
क्या रख्खा है,यूं ही ठंडी आहों में ,
हम भी तो है
तकिये को तुमक्यों भरती हो बाहों में ,
हम भी तो है
पलक बिछा कर बैठे तेरी राहों में,
हम भी तो है
जो दर्दे दिल करती दूर ,दवाओं में ,
हम भी तो है
भरने रंगत ,मौसम और फिजाओं में ,
हम भी तो है
मदन मोहन बाहेती'घोटू'
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें
कृपया अपने बहुमूल्य टिप्पणी के माध्यम से उत्साहवर्धन एवं मार्गदर्शन करें ।
"काव्य का संसार" की ओर से अग्रिम धन्यवाद ।