सुबह की धूप
सुबह सुबह की धूप ,धूप कब होती है ,
ये है पहला प्यार ,धरा से सूरज का
प्रकृति का उपहार बड़ा ये सुन्दर है,
खुशियों का संसार,खजाना सेहत का
धूप नहीं ये नयी नवेली दुल्हन है ,
नाजुक नाजुक सी कोमल, सहमी ,शरमाती
उतर क्षितिज की डोली से धीरे धीरे ,
अपने बादल के घूंघट पट को सरकाती
प्राची के रक्तिम कपोल की लाली है ,
उषा का ये प्यारा प्यारा चुम्बन है
अंगड़ाई लेती अलसाई किरणों का,
बाहुपाश में भर पहला आलिंगन है
निद्रामग्न निशा का आँचल उड़ जाता,
अनुपम उसका रूप झलकने लगता है
तन मन में भर जाती है नूतन उमंग ,
जन जन में ,नवजीवन जगने लगता है
करने अगवानी नयी नयी इस दुल्हन की,
कलिकाये खिलती ,तितली है करती नर्तन
निकल नीड से पंछी कलरव करते है,
बहती शीतल पवन,भ्रमर करते गुंजन
जगती ,जगती ,क्रियाशील होती धरती ,
शिथिल पड़ा जीवन हो जाता ,जागृत सा
सुबह सुबह की धूप ,धूप कब होती है,
ये है पहला प्यार ,धरा पर सूरज का
मदन मोहन बाहेती'घोटू'
सुबह सुबह की धूप ,धूप कब होती है ,
ये है पहला प्यार ,धरा से सूरज का
प्रकृति का उपहार बड़ा ये सुन्दर है,
खुशियों का संसार,खजाना सेहत का
धूप नहीं ये नयी नवेली दुल्हन है ,
नाजुक नाजुक सी कोमल, सहमी ,शरमाती
उतर क्षितिज की डोली से धीरे धीरे ,
अपने बादल के घूंघट पट को सरकाती
प्राची के रक्तिम कपोल की लाली है ,
उषा का ये प्यारा प्यारा चुम्बन है
अंगड़ाई लेती अलसाई किरणों का,
बाहुपाश में भर पहला आलिंगन है
निद्रामग्न निशा का आँचल उड़ जाता,
अनुपम उसका रूप झलकने लगता है
तन मन में भर जाती है नूतन उमंग ,
जन जन में ,नवजीवन जगने लगता है
करने अगवानी नयी नयी इस दुल्हन की,
कलिकाये खिलती ,तितली है करती नर्तन
निकल नीड से पंछी कलरव करते है,
बहती शीतल पवन,भ्रमर करते गुंजन
जगती ,जगती ,क्रियाशील होती धरती ,
शिथिल पड़ा जीवन हो जाता ,जागृत सा
सुबह सुबह की धूप ,धूप कब होती है,
ये है पहला प्यार ,धरा पर सूरज का
मदन मोहन बाहेती'घोटू'
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