इतना ही काफी है
बच्चे ,अब बढे हो गये है
अपने पैरों पर खड़े हो गये है
ख़ुशी है ,कुछ बन गये है
गर्व से पर तन गये है
कभी कभी जब मिलते
लोकलाज या दिल से
चरण छुवा करते है
कमर झुका लेते है
ये भी क्या कुछ कम है
खुश हो जाते हम है
नम्रता कुछ बाकी है
इतना ही काफी है
मदन मोहन बाहेती'घोटू'
श्रीमद्भगवद्गीता अध्याय 2 के 72 श्लोकों का सार
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श्रीमद्भगवद्गीता अध्याय - 02 के विषय
क्र सं
बिषय
श्लोक
योग
1
● मोह ● पंडित
● पिछले जन्म की स्मृति में लौटना
1 - 12
12
2
आत्मा
13 - 30
18
3
...
3 घंटे पहले
सटीक पंक्तियाँ - इतना ही काफी है समझाने को, मन को.
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