आज मैं यादें छोड़ आयी हूँ
कुछ बातें छोड़ आयी हूँ
कुछ खट्टी कुछ मीठी
मुलाक़ातें छोड़ आयी हूँ
चार साल का अनुभव
और वो हँसी मज़ाक़
साथ ले अपने
कुछ पहलुओं को
कुछ वादों को छोड़ आयी हूँ
कुछ बातें छोड़ आयी हूँ
क्या कहूँ क्या दोस्त बने
किसी ने हँसकर पीठ थपथपाई
तो किसी ने पीठ पीछे
मुँह फेरकर जीभ फिराई
पहचान तो गयी रंग भाव
हर एक शख़्स का
उन रंग भाव के मैं
कुछ कसक छोड़ आयी हूँ
शायद कुछ असर छोड़ आयी हूँ
कुछ बातें छोड़ आयी हूँ
कुछ को साथ रखने की
हरदम ख़वाहिश है तो
कुछ की कड़वी बातें झेल आयी हूँ
कुछ बातें छोड़ आयी हूँ
कुछ बातें बुरी लगी किसी की
तो चुप रहना बेहतर समझा
जो चार साल में नहीं बदला
उसे बदलने की चाह छोड़ आयी हूँ
कुछ बातें छोड़ आयी हूँ
बेहतर तो नहीं कह सकती
अपने हर साल को
गुज़र गया हर लम्हा
रोते गाते हँसते..
बहुत कुछ सोचा था पर
अपने अहसासों के दरमियान
तमन्नाओं के आईने में
धुँधली तस्वीरें छोड़ आयी हूँ
कुछ बातें छोड़ आयी हूँ ।
© दीप्ति शर्मा
किसी ने हँसकर पीठ थपथपाई
तो किसी ने पीठ पीछे
मुँह फेरकर जीभ फिराई
पहचान तो गयी रंग भाव
हर एक शख़्स का
उन रंग भाव के मैं
कुछ कसक छोड़ आयी हूँ
शायद कुछ असर छोड़ आयी हूँ
कुछ बातें छोड़ आयी हूँ
कुछ को साथ रखने की
हरदम ख़वाहिश है तो
कुछ की कड़वी बातें झेल आयी हूँ
कुछ बातें छोड़ आयी हूँ
कुछ बातें बुरी लगी किसी की
तो चुप रहना बेहतर समझा
जो चार साल में नहीं बदला
उसे बदलने की चाह छोड़ आयी हूँ
कुछ बातें छोड़ आयी हूँ
बेहतर तो नहीं कह सकती
अपने हर साल को
गुज़र गया हर लम्हा
रोते गाते हँसते..
बहुत कुछ सोचा था पर
अपने अहसासों के दरमियान
तमन्नाओं के आईने में
धुँधली तस्वीरें छोड़ आयी हूँ
कुछ बातें छोड़ आयी हूँ ।
© दीप्ति शर्मा
सुन्दर रचना | अपने कॉलेज के अंतिम दिन याद आ गए |
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