आज एसा क्या हुआ है
आज एसा क्या हुआ है, मन मचलने लग गया है
आपने तिरछी नज़र से ,सिर्फ देखा भर हमें है
उठ रहा क्यों ज्वार दिल में,बढ़ गयी क्यों धड़कने है
बिजलियाँ ऐसी गिरी है, आग तन में लग गयी है
प्रीत के उस मधु मिलन की,आस मन में जग गयी है
बहुत ही बेचेन है मन , बदन जलने लग गया है
आज एसा क्या हुआ है ,मन मचलने लग गया है
कर गयी है हाल एसा,जब मधुर चितवन तुम्हारी
गज़ब कितना ढायेगी फिर,रेशमी छूवन तुम्हारी
रस भरे लब ,मधुर चुम्बन दे ,मचा उत्पात देंगे
थिरकता तन,सांस के स्वर,जुगल बंदी,साथ देंगे
नयन में ,मादक पलों का,सपन पलने लग गया है
आज एसा क्या हुआ है. मन मचलने लग गया है
मदन मोहन बाहेती'घोटू'
अस्तित्त्व और हम
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अस्तित्त्व और हम जब सौंप दिया है स्वयं को अस्तित्त्व के हाथों में तब भय
कैसा ?जब चल पड़े हैं कदम उस पथ परउस तक जाता है जो तो संशय कैसा ?जब बो दिया
है बीज ...
1 घंटे पहले
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