नाम पर मत जाओ
सूर है सूरज में,सूर याने चक्षु हीन,
सबको पथ दिखलाता,जग मग कर के जगती
सूरज में रज भी है,रज याने धूलि कण,
जा न सके सूरज तक, बहुत दूर है धरती
इसीलिये कहता हूँ,नाम पर मत जाओ,
डंक बड़ा चुभता है,पर बजता है डंका
नाम भ्रमित करते है,माला के दाने का,
वजन एक माशा है,पर कहलाता मनका
मदन मोहन बाहेती'घोटू'
पतंजलि अष्टांगयोग का छठवां अंग धारणा
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पतंजलि विभूति पाद सूत्र : 1
अष्टांगयोग का छठवां अंग धारणा
देश बंधश्चित्तस्य धारणा
" देश (आलंबन ) से चित्तका बधे रहना , धारणा है "
सूत्र - भावार्थ म...
15 घंटे पहले
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