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सोमवार, 25 जून 2012

परेशानी-गर्मी की

       परेशानी-गर्मी की

गर्मियों में इस कदर ,मुश्किल है जीना हो गया

हवायें लू बन गयी, पानी पसीना   हो गया
और डर ने पसीने के,हाल है  एसा  किया
पास भी अब पटखने में,बिदकती है बीबियाँ
बड़ी मनमौजी हुई है, आती जाती  रात दिन
अंखमिचौली खेलती ,बिजली सताती रात दिन
आजकल उतनी हंसीं ,लगती नहीं है  हसीना
चेहरे का मेकअप  बिगाड़े,गाल पर बह पसीना
कम से कम कपडे बदन पर,जिस्म खुल दिखने  लगे
उनको भी ये सुहाता है,हमको भी अच्छा   लगे
गरमियों के दरमियाँ बस फलों का आराम है
लीचियां है,जामुने है,चूंसने  को आम है

मदन मोहन बाहेती'घोटू'

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