पाती-पिता के नाम
आज हम जो कुछ भी हैं,ये मेहरबानी आपकी
हमारा किस्सा नहीं ,ये है कहानी आपकी
जिंदगी के इस सफ़र में ,आई जब भी मुश्किलें,
हम गिरे या लडखडाये,उंगली थामी आपकी
थपथपा कर पीठ इसी हौसला अफजाई की,
जोश दूना भर गयी ये कदरदानी आपकी
इस चमन में खिल रहे है,फूल हम जो महकते,
आपका है खाद पानी, बागवानी आपकी
आपने डाटा ,दुलारा ,सीख दी ,रस्ता दिखा,
याद है बचपन की सब ,बातें पुरानी आपकी
आपके कारण ही कायम है हमारा ये वजूद,
आपका ही अक्स हैं,हम है निशानी आपकी
देर से आये हैं लेकिन आये हैं हम तो दुरुस्त,
आपको पहचान पाए,कदर जानी आपकी
आपका साया हमारे सर पे बस कायम रहे,
हे खुदा! हो जाए हम पर मेहरबानी आपकी
मदन मोहन बाहेती 'घोटू'
अस्तित्त्व और हम
-
अस्तित्त्व और हम जब सौंप दिया है स्वयं को अस्तित्त्व के हाथों में तब भय
कैसा ?जब चल पड़े हैं कदम उस पथ परउस तक जाता है जो तो संशय कैसा ?जब बो दिया
है बीज ...
1 घंटे पहले
खुबसूरत भाव...
जवाब देंहटाएं